यथार्थ को अपनी रचना से अमर करता है लेखक: प्रोफेसर विश्वनाथ प्रसाद

in #news2 years ago

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डॉ उषा कुमार की दो पुस्तकों चीन्हे अनचीन्हे रंग काव्य एवं गोदान और गणदेवता, एक तुलनात्मक अध्ययन का हुआ लोकार्पण

जीवन के सत्य से अवगत कराते हैं कविता प्रो: रामदेव शुक्ल

डॉ ऊषा की रचनाओं में मौलिकता झलकती है: प्रो कृष्ण चंद्र लाल
लेखनी में झलकती है समाज के प्रति संवेदनशीलता: प्रो अनन्त मिश्र

कविता में लोकोक्ति बन जाने की क्षमता है: प्रो चितरंजन

छात्र जीवन से ही प्रतिभावान थी डॉ उषा: प्रो रामदरश राय

गोरखपुर। कवियत्री एवं लेखिका डॉ उषा कुमार की दो पुस्तकों चीन्हे अनचीन्हे रंग काव्य एवं गोदान और गणदेवता, एक तुलनात्मक अध्ययन उपन्यास का लोकार्पण रविवार को नेपाल लाज में हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्य अकादमी नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष को प्रो विश्वनाथ प्रसाद तिवारी थे, अध्यक्षता गोविवि हिंदी विभाग के पूर्व व वरिष्ठ साहित्यकार आलोचक प्रो रामदेव शुक्ल ने किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में गोविवि हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर कृष्ण चन्द्र लाल, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के पूर्व प्रतिकुलपति व गोरखपुर विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफ़ेसर चितरंजन मिश्र तथा गोरखपुर विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व आचार्य प्रोफेसर राम दरस राय मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ मुमताज खान ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ शैलेंद्र कुमार ने किया।

इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि दोनों पुस्तकों पर प्रकाश डालते हुए साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष प्रो विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि रचनाकार वही हो सकता है जिसके भीतर संवेदना हो सहनशीलता हो और दूसरे के कल्याण की भावना हो वही सच्चे मायने में रचनाकार है क्योंकि वह अपने जीवन में बहुत सारे दबाव महसूस करता है जब भी वह अपनी रचनाएं करता है तो वह विभिन्न चरित्रों को निभाता है या यूं कहें कि वह हर चरित्र को जीता है इसलिए वह जीवन में कई बार जीता और मरता है इसलिए लेखक का हमेशा आदर और सम्मान होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज हमारे साहित्य की दुनिया में जितने लेखकों का आगमन हो रहा है उसका स्वागत करना चाहिए उन्होंने कहा की रचनाकार वह सब करता है जो आम आदमी करता है लेकिन उसके साथ-साथ अपनी रचनाओं के लिए समय निकालता है जो लोग लोक कल्याण का कार्य है इसलिए रचनाकार सम्मानित है। आज के समय में इतिहास से ज्यादा ग्रंथ प्रमाणित है इतिहास का प्रथम स्रोत साहित्य ही होता है लेखक यथार्थ को अपनी दृष्टि और रचना से अमर कर देता है सच्चा लेखक सही मायने में ऐसा ही करता है। प्रेमचंद ने गोदान में जिस गांव का चित्रण किया है अब उसमें खासा बदलाव हो गया है खास करके 1990 में उदारीकरण नीति लागू होने के बाद से परिवेश में काफी बदलाव आया है।
वरिष्ठ साहित्यकार व गोरखपुर विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष कृष चंद्र लाल कहा की आज डॉक्टर उषा कुमार की दो पुस्तकों जो दोनों अलग अलग विधा से है का लोकार्पण है इन दोनों पुस्तकों में उनकी आलोचनात्मक तथा और सृजनात्मकता की प्रतिभा का परिचय मिलता है उषा जी की रचनाओं में गंभीरता विश्लेषण यथार्थ व संवेदनाएं भरी हुई हैं जो एक लेखक में होती है लेखक की एक पृष्टि भूमि होते हुए भी लेखकों के विचार अलग-अलग होते हैं अक्सर देखने को मिलता है। कवि कविता की दुनिया का निर्माता होता है वह अपनी एक अलग दुनिया रखता है उसकी रचनाओं में उसकी मौलिकता झलकती है उषा कुमार की कविताओं में संवेदना व ज्ञान का रूप दिखाई देता है। कि वह एक सहज सरल कवित्री हैं उनकी कविता पाठक को सहज समझ में आती हैं यही लेखक की जीत होती है। अक्सर देखा जाता है कि लेखकों की कविताओं में औपचारिकता मात्र दिखती है लेकिन डॉ उषा कुमार की कविता और उपन्यास दोनों इससे अलग हैं इसमें वह मार्मिकता दोनों दिख रही है जो अन्य बहुत कम देखने को मिलता है। लेखक ने उपन्यास और कविता दोनों को इतना बेहतर ढंग से सुसज्जित किया है कि वह बधाई के पात्र हैं मैं उन्हें भविष्य की शुभकामनाएं देता हूं।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष व साहित्यकार प्रोफ़ेसर अनंत मिश्र ने कहा कि प्रतिभा की कोई व्याख्या नहीं होती है रचना का कोई कारण नहीं होता है डॉ ऊषा ने अपनी भावनाओं संवेदना और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को कविताओं में व्यक्त किया है उन्होंने उनकी एक कविता का उदाहरण देते हुए व उसका अर्थ समझाते हुए कहा कि मकान तो सबके पास है लेकिन घर नहीं है क्योंकि घर में परिवार के और भी सदस्य रहते हैं माता पिता भाई के साथ-साथ घर में जीवन भी होता है लेकिन आज की व्यवस्था में ऐसा होता नहीं दिख रहा है उषा कुमार ने इस पर भी प्रकाश डाला है और उसके महत्व को बेहतर ढंग से अपनी लेखनी में उतारा है।
उन्होंने कहा कि आज जिस चीज की बहुत ज्यादा चर्चा होती है वह होता नहीं है बस ऐसी बातें किया जाता है कि जिस पर कोई चर्चा ही ना हो सके आज समाज में ऐसी चीजें देखने को मिले हैं उन्होंने कहा कि हमारी जो कला है जीवन का सच है उसे बचाने का जो प्रयास कर रहा है वही सच्चा रचनाकार है। उषा कुमार की रचनाओं में यह स्पष्ट दिखता है।
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर चितरंजन मिश्र ने कहा कि जीवन सबका बहुरंगी होता है पर अपने जीवन अनुभव को रंग देना सबके बस की बात नहीं होती है जो ऐसा करता है वही रचनाकार और साहित्यकार होता है आज साहित्य की दुनिया में इर्ष्या व द्वेष कूट कूट कर भरा है ऐसे में डॉ उषा कुमार की 2 पुस्तकें जिनका लोकार्पण है उनकी रचनाओं में देखने को मिलता है कि इसमें चिंगारी है उनकी कविता में लोकोक्ति बन जाने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि समाज चलाने के लिए संवेदनशीलता जरूरी है कविता यही बताने की कोशिश कर रही है कविता हमारे भी भीतर प्रश्न पैदा करती है वह जीवन के प्रश्न है जीवन की उलझन सुलझाने की कविता है। उन्होंने कहा कि आज के समय में पूंजीवाद राष्ट्रवाद में बदल गया है पूंजीवाद राष्ट्रवाद को चला रहा है आज हम देख रहे हैं कि गोदाम में प्रेमचंद की दूरदृष्टि आज हमें देखने को मिल रही है प्रेमचंद ने उस समय रेखांकित किया था उन्होंने आज नई शिक्षानीति की आलोचना की।
इस अवसर पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व आचार्य प्रोफेसर रामदरश राय ने कहा कि छात्र जीवन से ही डा उषा कुमारी में प्रतिभा भरी हुई थी जब वह कक्षा में आती थी तो उनकी जिज्ञासा उनकी संवेदना और विषयों के प्रति उनकी सतर्कता को देखते हुए हम लोग पूर्व तैयारी करके ही आते थे। उनकी असहजता सरलता और उनकी जिज्ञासा देखकर हमने तभी समझ लिया था किया इनके अंदर भविष्य का साहित्यकार बैठा है और आज वह मूर्त रूप ले चुका है उनकी दोनों पुस्तकों में संवेदनशीलता है और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन जिस तरह से अपने लेखनी में किया है वह सराहनीय है मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं और इस विश्वास के साथ कि भविष्य में हमें और भी पुस्तकें उनकी देखने को मिलेगी। उन्होंने अनुकूल समय में साहित्य के क्षेत्र में प्रवेश किया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष वरिष्ठ आलोचक साहित्यकार प्रोफेसर रामदेव शुक्ल ने कहा कि डॉ उषा कुमार ने कविता की परंपरा को और बेहतर ढंग से आगे बढ़ाया है जो सराहनीय है इन्होंने जीवन के साथ जीवन के सत्य से अवगत कराने का काम किया है वेदना संवेदना का परिचय लेखक ने अपने दोनों पुस्तकों में दिया है उन्होंने कहा कि इनकी दोनों किताबें सराहनीय है सच्चा और अच्छा लेखक वही होता है जो लेखनी परंपरा से कुछ सीखता है उसमें कुछ जोड़ता है और भविष्य के लिए क्या योजनाएं हैं क्या संभावनाएं हैं उसको भी अपनी पुस्तक में अंकित करता है। एक बेहतर साहित्यकार के अंदर यदि साहित्य को विकसित करने व संभावना तलाशने की क्षमता है तो समाज को नई दिशा दे सकता है डॉ उषा कुमार में प्रतिभा देखने को मिली है।
इसके पूर्व कवियत्री एवं लेखिका डॉ उषा कुमार ने अतिथियों का स्वागत करते हुए चीन्हे अनचीन्हे रंग काव्य एवं गोदान और गणदेवता, एक तुलनात्मक अध्ययन
उपन्यास के लोकार्पण के अवसर पर उन्होंने अपनी तरफ से मुख्य अतिथियों का स्वागत किया और अपनी पुस्तकों के बारे बताया तथा काव्य से संबंधित कुछ रचनाओं को पढ़कर सुनाया जिस पर काफी चर्चा हुई उन्होंने अपने संस्मरण और जो उनके प्रेरणास्रोत हैं जिन्होंने उनका लिखने में सहयोग किया है उनको धन्यवाद ज्ञापित किया। और कहा कि अपनी पुस्तकों में मैंने अपनी भावनाओं को शब्द का आकार दिया है गोदाम और गणदेवता में बहुत समानता है प्रेमचंद ने ग्रामीण परिवेश का वास्तविक चित्रण किया है जबकि गण देवता अच्छी पुस्तक है उसने समाज के बारे में हमें बताया है उन्होंने मां मैं अनंत हूं कविता का पाठ भी किया।
इसके पूर्व अनिशा गुप्ता ने बुके देकर अतिथियों का स्वागत किया साथ ही डॉक्टर महेंद्र अग्रवाल, डॉ शरद श्रीवास्तव, डॉ एके सिंह व डॉ विमल मोदी ने अतिथियों को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर डॉ नागेश राम त्रिपाठी को भी सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर प्रो सीपीएम त्रिपाठी डॉ शैलेंद्र कुमार, प्रकाशन संस्थान के निदेशक अशोक गुप्ता विनीता पाठक बृजेन्द्र नारायण, मयंकेश्वर पांडे समेत भारी संख्या में लोग मौजूद थे।