शामली, सबको रुला कर चले गए मन्नू भाई

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एक बात आज कहानी बन गयी
शामली कांधला बचपन का मन्दिर में खेलना ओर खेलते हुए लड़ना ,लड़ते हुए एक दूसरे की शिकायत करने के बाद जब पिटाई होती थी तो पिटवाने में बहुत मजा आता था एक दूसरे की कच्छी उतार कर भागना फिर नँगा नँगा कहकर चिढाना ओर आज जब अपने ही हाथों के अंतिम बार उसको स्नान कराया तो अब नही बोला मुझे मंगा देख रहा ,क्यों नही बोला भाई आज तूने मेरे भाई, एक दिन मन्नु भाई से इस बात पर लड़ाई हो गयी कि वो बोल रहा था वो बड़ा है मै बोल रहा था मैं बड़ा हु यह बात पहुंची आंटी के पास मतलब मन्नु भाई की मम्मी के पास वहां भी मन्नु भाई जिद कर रहा कि वो बड़ा क्योंकि वो यह बोल रहा था कि उसका जन्मदिन 19 जून को आता है तो 19 बड़े है और मैं बोल रहा था मेरा जन्मदिन 15 जून को आता है तो मैं बड़ा हु बस लड़ाई इसी बात की थी वो 19 को बड़ा बता रहा था मैं बोल रहा था 15 पहले आता है मात्र 4 दिन एक दूसरे से छोटे बड़े थे तो मैं बड़ा हूं मगर जब आंटी ने उसकी जिद को पूरा करने को मुझे बोला बेटा आशु बोल दे 19 जून ही बड़े है मगर यह बात आज समझ आयी मुझे मेरे भाई वापस आ जा तू ही बड़ा है 19 जून ही बड़ी है पर वापस आ जा शत शत नमन भाई यादे रह गयी हम साथी भी थे और भाई भी थे मेरा आज एक हाथ टूट गया यह बाते जब हम छोटे थे जब की है
तेरा भाई आशुतोष पाण्डेय