घोर कलयुग

in #news2 years ago

घोर कलयुग
बडी शर्म की बात है किसी का पुरूषार्थ छीन कर खा रहे हो और खुद को चरित्रवान कहते हो वो भी साठ साल के करीब पहुंच कर। वाह रे कलयुग, घोर कलयुग।

घोर कलयुग किसी को मिली सत्ता हजम नही हुई तो गल्ती पर गलती ढूंढ , गल्ती नहीं मिली तो प्रोसीजर का रबाब दिखाने लगे । वाह रे कलयुग, घोर कलयुग।

एक अकेला बैठा और एक पांच को साथ ले सिखला पढा कर बैठा , लगा अपनी सच्चाई के कसीदे पढने , झूठ का मुखौटा पहने । वाह रे कलयुग घोर कलयुग।

अकेले को अपने सच पर गर्व है । झूठा बैठा भेड़ों के साथ नकली ईमानदारी की योजनाएं बनाता ।
कभी क्रोध दिखाता तो कभी झूठी नम्र वाणी से शिष्ट सभ्य स्वयं को दर्शाता । वाह रे कलयुग घोर कलयुग।

चंद पैसों की खातिर , अपने सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए कितना नीचे गिर जाता है इन्सान ओफ दीप तले अंधियारा । वाह रे कलयुग घोर कलयुग।