ईश्वर की प्रतिमा मेरे पिता
नमन मंच 🙏
अधिकार ये मेरे जीवन का,पिता से ही पाया मैंने।
ईश्वर की प्रतिमा मेरे पिता,जब खुली आंख देखा मैंने।।
उनकी ऊंगली थामे चली हूॅं मैं उनकी गोद में खेला है मैंने।
जीवन के मुश्किल राहों पर, उनसे चलना सीखा है मैंने।।
पग-पग पर साथ रहें हैं वो, उनको जब से पाया मैंने।
ईश्वर की प्रतिमा मेरे लिए, जब खुली आंख देखा मैंने।।
उनसे ज्ञान का दर्शन मिला मुझे, जीवन दर्पण देखा मैंने।
नैतिक -अनैतिक कर्मों की ज्ञान भी उनसे लिया मैंने।।
जीवन के पहले गुरु है वो, शिक्षा उनसे पाया मैंने।
ईश्वर की प्रतिमा मेरे लिए जब खुली आंख देखा मैंने।।
सत्य की राह पर उनसे ही,चलना भी सीखा है मैंने।
आज मैं उनकी राहों पर,चलकर मंजिल पाया मैंने।।
कितना गर्व है ये मुझे, जो उनको पाया है मैंने।
ईश्वर की प्रतिमा मेरे पिता जब खुली आंख देखा मैंने।।
रहकर उनकी छत्रछाया में, बिताया बचपन का मैंने।
अब विदा ले रही बाबुल मैं, जो दिया संस्कार लिया मैंने।।
तु जाए जहां सुख से रहें, ये आशीष है पाया मैंने।
ईश्वर की प्रतिमा मेरे लिए जब खुली आंख देखा मैंने।।
अब उम्र के इस पड़ाव पर, पापा तुम्हें मेरी जरूरत है।
बीटिया और बेटा दोनों की, कर्तव्य को पूरा करना है।।
आ जाओ पास मेरे पापा, अकेले अब नहीं रहना है।
ईश्वर की प्रतिमा मेरे पिता जब खुली आंख देखा मैंने।।
Good