हां याद है मुझे

in #news2 years ago

सङसठ हो गया , नियमानुसार अवकाश ग्रहण करने जा रहा हूं , मात्र चार दिन बचे हैं , कुछ पुरानी यादों में खोया और साठ साल पहले या कहें एक आध साल और पहले का दृश्य आंखों के सामने कुछ धुंधला सा नजर आ रहा है , जिसे मैं एक भावना में व्यक्त कर रहा हूं ।
# # पहली बार # #
हां याद है मुझे
वो भी जमाना याद है
जो वक्त संग गुज़र गया
भट्ठा छूना
रामऽ गति देहु सुमति
से एक विश्वास की शुरुआत
अक्षरों और अंकों से खेलना
सिलेट खल्ली बोरा झोला
पहली मिल्कियत थी
हमारे नाम खरीदी गई
वो पहली जागीर थी
शनै शनै हम बढ़ते गये
आम भाषा में कुछ पढ़ते गये
फर्स्ट बुक से अंग्रेजी पढ़ना
बी ए - बे, बी ई - बी , बी ओ - बो
जान गये अंग्रेजी ककहरा
चक्रवर्ती का अंक गणित
बीज गणित और ज्यामिति
त्रिकोणीय ज्ञान जरूरी था
वरना हथेली पर छङी
सटाक सटाक
गाल पर मास्टर साहब का थप्पङ
अम्मा बाबू जी का प्यारा लप्पङ
परंपरा शुरू हुई
पढेगा तो बनेगा नवाब
खेलना मत होगा ख़राब
( आज के अनुसार पूर्ण गलत )
इस मूल मंत्र के साथ
ज़िन्दगी के सफ़र की
हुई एक शुरुआत
इस्कूल जाने लगा
मैं अब पढ़ने लगा
छुट्टी गरमियों के महीने की
अम्मा के साथ मामा गांव जाना
रेल का सफ़र
टीन वाला बक्सा
और होल्डाल पूरा याद है
रेल के डब्बा में बैठते
टिफिन कैरियर का खुलना
पेपर फाङ कर पूङी भुजिया
और आम वाला अचार
प्लेटफार्म से दौड़ कर
गिलास में पानी का छलछलाते
ज्यादा से ज्यादा बचा कर लाना
गटागट पी लेना
चाय वाले का डिब्बे में आना
अम्मा को देखना
आज छूट है , चाय मिलेगा
याद है वो पहला मुकाम
पढ़ाई और सफ़र का
एक ख्वाब है जो सहेज कर रखा
पीयूष खुशनसीब है
तूने आज भी याद रक्खा ।

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