नकली अभिनय

in #news2 years ago

जितने बेटे ,उतने कमरे
कहाँ रहेगी माँ, यह भय है
बेशक यह बूढ़ी अम्मा का
सुविधा वंचित कठिन समय है

माता जो निश्चेष्ट बैठकर
देख रही सारी गतिविधियाँ
क्या ग्यारस,रविवार काटने
दौड़ा करते वासर-तिथियाँ

जिन बहुओं के होने का वह
गर्व सदा करती आयी
उनकी घनाक्षरी के आगे
चकित अचंभे में छप्पय है

सुबह नाश्ता दोपहरी हो
या फिर संध्या की ब्यालू
क्रम से बँटी तीन बेटों में
पर माँके हिस्से आलू-

की चीजें उस मधुमेही को
मिलती रहती हैं प्रतिदिन
जान सकी है पति न रहनेकी
विपदा का क्या आशय है

तीनों बहुयें स्वांग किया
करती हैं लोगों के आगे-
" अम्मा जैसी सासू माँ
से भाग हमारे हैं जागे "

कोई अगर न देखे तो मुँह
फेर चली जाया करतीं
मगर लोग भी जान गये थे
उनका यह नकली अभिनय है .

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