जिंदगी के इस छोर पर

in #news2 years ago

जिंदगी के इस छोर पर
आज मैं पूर्ण रूप से
अपनी हार स्वीकारता हूं
मेरी आशाएं निराशाओं से घिरी है
और शरीर भी कुछ
साथ छोड़ता सा
नजर आता है ….!

मुझे चाह थी एक
आत्मिक शांति की
जैसी एक संत
बरसों की
तपस्या के बाद पाता है ,
और आत्मिक शांति
का ताज पहने
तन कर चलता है ,

पर ...अधूरेपन
से घिरा मैं
यहां भी
अधूरा ही रहा ….

आज अपने चारो तरफ
सिर्फ एक खालीपन
देखता हूं….
रिश्ते नाते
प्यार ,प्रसिद्धि
शक्ति ,,सम्पन्नता
शांति मिले नहीं ,
दोस्ती ,प्यार
साथ ना निभा सके ..
एक एक कर के
छोड़ते चले गए सब …!

ऊपर वाले ने मुझे
जीवन के रूप में
एक बिलकुल
खाली कप
पकड़ाया
जिसकी सारी खुशियां
वो पहले से ही
दूसरो के कप
में उड़ेल चुका था ….

मेरे भाग्य खोखले से
और मेरे इर्द गिर्द के
सब लोगो के
खुशियों और
प्यार से
लबालब
पूरी तरह
छलकते से…..

उदासी और तन्हाई
यही था ..मेरा नसीब
यही था …मेरे लिए
नियति का
क्रूर खेल …….!

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