इस धरती पर फूल खिलाता

in #news2 years ago

यौवन की परिभाषा

      रसहीन    ह्रदय    क्या    पहचाने 

      मृदु    लाड़   प्यार  की   मधुभाषा 

      पत्थर   जैसा    दिल   क्या   जाने 

     निज  यौवन   दिल   की  परिभाषा 

     जो   सोया   रहता    देर    तलक 

     वह    प्रातः  सुख  को  क्या जाने 

     जो    रहा    किनारे    बैठ    सदा 

       उद्याम     को    क्या   जाने 

     जाने -  पहचाने     नाविक   ही 

    बढ़  उद्धति   लहर  पर   मचलाते 

    आह्लादित     यौवन    के    जादू 

    मझधारों     से     जा    टकराते 

    यौवन   गंध    पिए   पागल   जो

    है   विजय  भाव    पर   लहराता 

    कांटाओं   से   उलझ-उलझ  कर 

    जो   सुमन   वक्ष   पर   मंडराता 

     जो  मन  में ले उत्साह प्रीत की 

    रीति     जगत    को    समझाता 

    अंकों  में  उसे   समेट   स्नेह की

    भाषा       परिचित      करवाता

    वही    जगत    की   झंझाओं   से 

    नित    पार    सदा    है    करवाता

    अपनी    सुन्दर    सूझ  - बूझ   से

    इस    धरती    पर   फूल   खिलाता
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