व्यस्थाओं का ढिंढोरा और अव्यवस्था का आलम,

in #news2 years ago

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जिले में शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते जिले में बारिश के दिनों में कई स्कूलों में छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ज्यादातर जिले के शहरी क्षेत्रों में स्थित शासकीय स्कूलों में बारिश की पानी निकासी की सुविधा नहीं है. जिसके चलते थोड़े ही बारिश में स्कूलों के परिसर में जलभराव की स्थिति निर्मित हो जाती है. ऐसा नहीं है कि विभाग इन सब से अनजान है, सब जानकारी होने के बाद भी विभाग फंड का आड़ लेकर पल्ला झाड़ रहा है
तस्वीरों में दिखाई देख कर यह लग रहा होगा कि ये कोई तालाब है. लेकिन लबालब भरा बारिश का पानी किसी तालाब का नहीं बल्कि महासमुंद जिले के शासकीय स्कूलों के परिसर का है. जहां थोड़े बारिश में बारिश का पानी घुटने तक भर जाता है. ये तस्वीरें जिला मुख्यालय स्थित शासकीय हाईस्कूल, बृजराज पाठशाला और ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय की है. जहां बारिश का पानी परिसर में तालाब की तरह लबालब भरा हुआ है.

तस्वीरों में दिखाई देख कर यह लग रहा होगा कि ये कोई तालाब है. लेकिन लबालब भरा बारिश का पानी किसी तालाब का नहीं बल्कि महासमुंद जिले के शासकीय स्कूलों के परिसर का है. जहां थोड़े बारिश में बारिश का पानी घुटने तक भर जाता है. ये तस्वीरें जिला मुख्यालय स्थित शासकीय हाईस्कूल, बृजराज पाठशाला और ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय की है. जहां बारिश का पानी परिसर में तालाब की तरह लबालब भरा हुआ है.

ये तस्वीरें महज एक उदाहरण है, ये हाल अमूमन जिले के पांचों ब्लॉक के शहरी क्षेत्रों में स्थित लगभग सभी शासकीय स्कूलों का रहता है. क्योंकि ज्यादातर स्कूलों में बारिश के पानी निकासी की कोई सुविधा नहीं है. हर साल मानसून के सीजन में इन स्कूलों का यही हाल रहता है और पूरे सीजन बारिश में बच्चों, शिक्षकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बच्चे या तो परिसर में खेलते है या फिर परिसर में भरे गंदे पानी में खेलते दिखाई देते हैं. स्कूल के शिक्षक उच्च अधिकारियों को कई बार समस्या से अवगत करा चुके हैं, कभी उन्हें आश्वासन मिलता है तो कभी आबंटन देने की बात कही जाती है. लेकिन हकीकत यही है कि, स्कूलों के हाल सालों से जस का तस है.