भीटे की छिलाई व हल्की खुदाई में खपा दिए 28 लाख

in #nature3 days ago

बांदा 16 सितंबर:(डेस्क)बांदा में छाबी तालाब के सुंदरीकरण कार्य में लापरवाही बरती जा रही है, जिससे स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ रही है। कार्यदायी संस्था ने तालाब के सुंदरीकरण के नाम पर केवल भेठ की छिलाई और हल्की खुदाई में 28 लाख रुपये खर्च कर दिए हैं, जबकि इस कार्य की गुणवत्ता और वास्तविकता पर सवाल उठ रहे हैं।

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तालाब का महत्व
छाबी तालाब स्थानीय निवासियों के लिए न केवल जल स्रोत है, बल्कि यह पर्यावरण और जैव विविधता के लिए भी महत्वपूर्ण है। तालाबों का सुंदरीकरण न केवल उनकी सुंदरता को बढ़ाता है, बल्कि जल संरक्षण और स्थानीय पारिस्थितिकी को भी सुदृढ़ करता है। ऐसे में जब सुंदरीकरण का कार्य सही तरीके से नहीं किया जाता है, तो यह न केवल स्थानीय निवासियों बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए हानिकारक हो सकता है।

कार्य की स्थिति
कार्यदायी संस्था ने जो काम किया है, वह बेहद सतही और अस्थायी प्रतीत होता है। भेठ की छिलाई और हल्की खुदाई से तालाब की स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस प्रकार के कार्य से तालाब की गहराई और जलधारण क्षमता में कोई वृद्धि नहीं हुई है, जिससे पानी की समस्या और अधिक गंभीर हो सकती है।

वित्तीय अनियमितताएँ
28 लाख रुपये का बजट इस कार्य के लिए निर्धारित किया गया था, लेकिन यह राशि किस प्रकार खर्च की गई है, इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि कार्यदायी संस्था ने बिना किसी ठोस योजना के इस राशि का उपयोग किया है। इससे यह भी संदेह होता है कि क्या यह राशि वास्तविक कार्यों पर खर्च की गई या फिर इसमें कोई वित्तीय अनियमितताएँ हैं।

स्थानीय निवासियों की प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासियों ने इस मामले को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यदि तालाब का सुंदरीकरण सही तरीके से नहीं किया गया, तो इससे जल संकट उत्पन्न हो सकता है। लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि इस मामले की जांच की जाए और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

प्रशासनिक प्रतिक्रिया
प्रशासन ने अभी तक इस मामले पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। स्थानीय निवासियों ने अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। इससे लोगों में निराशा और आक्रोश बढ़ रहा है।

भविष्य की योजना
यदि स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो स्थानीय निवासियों को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए आवश्यक है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले और तालाब के सुंदरीकरण कार्य को सही तरीके से पूरा करने के लिए उचित कदम उठाए।

निष्कर्ष
बांदा में छाबी तालाब के सुंदरीकरण में लापरवाही बरती जा रही है, जिससे स्थानीय समुदाय में असंतोष बढ़ रहा है। 28 लाख रुपये खर्च करने के बावजूद काम की गुणवत्ता अत्यंत खराब है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस मामले को गंभीरता से ले और सुनिश्चित करे कि भविष्य में ऐसी लापरवाहियाँ न हों। यदि जल्द ही उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह स्थिति केवल बिगड़ सकती है, जिससे स्थानीय निवासियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।