मंगल भवन खंडहर में खोज रहा अपना वजूद

in #mwai2 years ago

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  • ऐतिहासिक ईमारत बन गया मवई का मंगल भवन
  • विकास की दौड़ में पीछे है मवई, मूकदर्शक बना प्रशासन

मंडला . आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला के अंतिम छोर में बसा विकासखंड मवई छोटा कश्मीर भी कहां जाता है। यहां साल के घने जंगल वृहद रूप में है। पर्यटन की दृष्टि से यह विकासखंड आज भी पिछड़ा हुआ है। इसके साथ ही यहां के अधिकांश लोग शासन की योजनाओं का लाभ लेने से भी वंचित रह जाते है। मवई विकासखंड के वनांचलवासियों के लिए शासन की योजनाएं नाम मात्र के लिए आती है, जिनका लाभ इन्हें नहीं मिल पाता है। आज भी जिला मुख्यालय से करीब 100 किमी दूर बसा मवई क्षेत्र विकसित नहीं हो पाया है।

जानकारी अनुसार वनांचल क्षेत्र कहे जाने वाले ग्राम पंचायत मवई में शासन की योजनाएं तो आती है, लेकिन यह योजनाएं कब आकर मवई से गायब हो जाती है, इसकी जानकारी वनांचल के लोगों को पता नहीं चल पाती। ऐसा ही एक उदाहरण मवई का मंगल भवन है जो कि बनने से पूर्व ही जर्जर आवस्था में आ चुका है। यह भवन ग्राम में प्रवेश कर रहे लोगो के लिये एक स्वागत स्तम्भ सा बना हुआ है। खंडहर हो चुकी इमारत को देख कर लोग हमेशा एक प्रश्न अवश्य पूछते है कि यह इमारत कौन सी है। यह ईमारत मवई के विकास में प्रश्न चिन्ह बना हुआ है।

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  • शराबियों, जुआरियों का आशियाना बना भवन :
    बता दे कि मवई विकासखंड में आज तक कितने नेता, जनप्रतिनिधि आए और चले गए। सभी ने आश्वासन दिया और उसके अलावा कुछ भी नहीं। जबकि घुघुरी, बिछिया, निवास में मंगल भवन बन कर तैयार है। जिसमें सामाजिक, संस्कृतिक कार्यक्रम आए दिन होते ही रहते है, लेकिन मवई में मंगल भवन दशकों से बन रहा है, जो आज भी निर्माणाधीन है। इस मंगल भवन का उपयोग अब गर्मियों के मौसम में शराबियों, जुंआरियो का अड्डा बन जाता है, वहीं बरसात लगते ही इस भवन में पालतू मवेशियों का आशियाना बनकर रह गया है। आज भी ग्राम में ऐसी कोई जगह नहीं है, जहाँ पर बरसात या अन्य दिनों में सांस्कृतिक व सामाजिक कार्यक्रम आयोजित कराए जा सके। उक्त कार्यक्रम के लिये किसी अन्य विभाग का भवन लिया जाता है। यहां जिला प्रशासन और स्थानीय प्रशासन मूकदर्शक बनकर सिर्फ देख रहा है। इस भवन के जीर्णोद्धार के लिए कोई उचित कदम नहीं उठाए जा रहे है।

  • प्रशासन का ध्यान नहीं :

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अब तो हालत यह हो गए है की बाहर लगा हुआ बोर्ड में लिखे शब्द भी मिट गए है। किसी भी प्रकार का कार्य इसमें नहीं कराया गया है। हाऊसिंग बोर्ड विभाग के अंतर्गत यह कार्य कराया जाना था, वहीं स्थानीय ठेकेदारो के द्वारा भी इसमें कार्य कराया गया था, लेकिन इसका कार्य अभी भी अपूर्ण ही है। इस खंडहर हो चुके मंगल भवन की ओर शासन, प्रशासन का ध्यान नहीं जा रहा है। जिससे इस भवन की हालत अब और भी जर्जर हो चुकी है।

  • क्षेत्र की घोषणाएं सिर्फ कागजों तक :
    ग्रामीणों का कहना है कि हजारों बार इस विषय में शिकायत दर्ज कराई गई है लेकिन अभी तक किसी ध्यान यहाँ नहीं गया है। वोट बैंक का माध्यम बना हुआ है मवई का मंगल भवन एक वार्ड मेम्बर से लेकर जिला पंचायत सदस्य तक के लोगो के घोषणा पत्र में प्रमुख बिंदु में अपनी जगह मवई का मंगल भवन बना ही लेता है, लेकिन घोषणा बस कागजों तक सीमित रह जाती है। इसका क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर दिखाई नहीं देता है। जिसके कारण मवई का मंगल भवन उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। इस जर्जर हो चुके मंगल भवन को सुरक्षित करने के लिए मरम्मत का भी काम नहीं किया जा रहा है। अब मंगल भवन की हालत ऐसी हो चुकी है कि वह भवन अब कभी भी गिर सकता है।

  • इनका कहना है

भवन को करीब 10 वर्षो से देख रहे है लेकिन यह अभी भी अधूरा है, जब भी कोई नेता या अधिकारी यहाँ आता है तो हम इस विषय को उनके समक्ष रखते है, लेकिन अभी तक यह भवन वैसे ही बना हुआ है। क्षेत्र में शादी समारोह में बारतियों के रुकने के लिये जगह तक नहीं मिल पाती है।
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ऐजाज खान, युवा नेता

भवन का विषय बहुत ही पुराना है, अब हमें अवसर प्राप्त हुआ है, जितना हो सके इस विषय पर प्रयास कार्य करेंगे जितना सम्भव हो सकेगा स्थानीय निकयो के माध्यम से चर्चा कर पूर्ण करवाने के लिये प्रयास करेंगे।
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संजू बोरिया, जनपद सदस्य, मवई

बचपन से यह भवन को बनते देख रहा हूं, यह मंगल भवन जुआरियों, नशेडियो का अड्डा बनते देखा है। अब यह भवन कचरा घर भी बन गया है। अब तो लोग इस मंगल भवन में मरे हुये मवेशियों को यहाँ फेंक देते है, प्रशासन की ढील का नतीजा है मवई का मंगल भवन जो आज भी अपने वजूद को खोज रहा है।
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हारून खान, स्थानीय निवासी

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