जीवा ने तय किया कम्पाउंडर से डाॅन तक का सफर

-90 के दशक में अपराध की दुनिया में कदम रखने के बाद अपराध की दुनिया का बना बेताज बादशाह
-भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड व ब्रहृमदत्त तिवारी हत्याकांड को लेकर रहा चर्चाओं में
-वेस्ट यूपी से लेकर ईस्ट यूपी तक जीवा के नाम का बजता है डंका
-मुन्ना बजरंगी व मुख्तार अंसारी रही नज़दीकियां, राजनीति में चमकने ही है चाहत।
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मुजफ्फरनगर। वेस्ट यूपी से लेकर ईस्ट यूपी तक अपराध की दुनिया में अपने नाम का डंका बजवाने वाले संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा ने यह सफर एक कम्पाउंडर से शुरू किया था। मुजफ्फरनगर व शामली में आज भी पुराने लोग संजीव जीवा को डाॅक्टर साहब के नाम से ही पुकारते हैं। 90 के दशक में संजीव जीवा ने अपराध की दुनिया में कदम रखा तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और वह एक के बाद एक सीढ़ियां चढ़ता चला गया और अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया। जेल में रहकर भी उसके नाम का डंका बजता है और बड़े-बड़े झगड़े उसके एक फोन पर निपट जाते हैं।
संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा शाहपुर थाना क्षेत्र के छोटे से गांव आदमपुर का रहने वाला है। 90 के दशक में वह मुजफ्फरनगर आ गया था और एक चिकित्सक के यहां कम्पाउंडर की नौकरी करता था। इस नौकरी के दौरान ज्यादातर लोग संजीव महेश्वरी को डाॅक्टर साहब के नाम से पुकारते थे। संजीव जीवा में शुरू से ही कुछ करने की ललक थी और इसी ललक ने उसे अपराध की दुनिया में धकेल दिया। संजीव जीवा का नाम उस समय सुर्खियों में आया, जब उसने चिकित्सक के यहां नौकरी के दौरान अपने मालिक यानी चिकित्सक का अपहरण कर लिया। इस घटना के बाद उसने 90 के दशक में ही कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और फिरौती दो करोड़ की मांगी थी। उस वक्त किसी से दो करोड़ की फिरौती की मांग होना भी अपने आप में बहुत बड़ी होती थी। इसके बाद जीवा हरिद्वार की नाजिम गैंग से जुड़ गया। नाजिम का उस समय हरिद्वार से लेकर पश्चिमी यूपी तक डंका बजता था। नाजिम गेंग के बाद संजीव जीवा सतेन्द्र बरनाला के साथ जुड़ा। संजीव जीवा अपना अलग गेंग बनाना चाहता था और इसी तड़प के चलते वह कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार था।

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भाजपा नेता ब्रहमदत्त द्विवेदी हत्याकांड से मिली प्रसिद्धी
10 फरवरी 1997 को हुई भाजपा के कद्दावर नेता ब्रम्ह दत्त द्विवेदी की हत्या हो गयी थी। इस हत्याकांड में संजीव जीवा का नाम भी सामने आया था। कोर्ट ने संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। यह मामला इतना चर्चित हुआ था कि संजीव जीवा के नाम का डंका बजने लगा था। अपराध की दुनिया में संजीव की रेटिंग बढ़ गयी थी और बड़े-बड़े डाॅन व माफिया संजीव जीवा से हाथ मिलाना चाहते थे।
इस हत्याकांड के बाद संजीव जीवा कुख्यात अपराधी मुन्ना बजरंगी के साथ जुड़ गया था और संपर्क मुख्तार अंसारी से हुआ। बताया जाता है कि मुख्तार अंसारी को आधुनिक हथियारों को रखने का शौक था और संजीव जीवा उसके इस शौक में सहायक बन गया था, क्योंकि आधुनिक हथियार जुटाने के मामले में संजीव को महारत हासिल थी।

भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड से मची नाम की धूम
संजीव जीवा भाजपा के कद्दावर नेता ब्रहमदत्त द्विवेदी हत्याकांड से प्रसिद्धी पा चुका था और पूरब के डाॅन माफियाओं के सम्पर्क में भी था। इसी दौरान भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या हो गयी, जिसमें मुन्ना बजरंगी व मुख्तार अंसारी के साथ-साथ संजीव जीवा का नाम भी प्रकाश में आया। हालांकि, कुछ सालों बाद मुख्तार और जीवा को साल 2005 में हुए कृष्णानंद राय हत्याकांड में कोर्ट ने बरी कर दिया था। इस हत्याकांड के बाद संजीव जीवा के नाम का डंका बजने लगा था और हालत यह थी कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा आदि में भी उसके नाम से बडे़-बड़े विवाद निपट जाते थे।

22 से ज्यादा मुकदमें दर्ज, 17 में हो चुका है बरी
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा पर 22 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए। इनमें से 17 मामलों में संजीव बरी हो चुका है, जबकि उसकी गैंग में 35 से ज्यादा सदस्य हैं। वहीं, संजीव पर जेल से भी गैंग ऑपरेट करने के आरोप लगते रहे हैं।

संजीव जीवा की है राजनीति में चमकने ही है चाहत
अपराध की दुनिया में अपने नाम का डंका बजवाने वाले संजीव जीवा की चाहत अब राजनीति में अपना सितारा चमकाने की है। संजीव जीवा फतेहपुर जेल में बंद है, परन्तु वह जेल में रहते हुए अपनी पत्नी का राजनीति में पदार्पण करा चुका है। संजीव जीवा की पत्नी पायल माहेश्वरी रालोद की नेत्री हैं और वह 2017 में मुजफ्फरनगर विधानसभा सीट से विधायक का चुनाव लड़ चुकी हैं। हालांकि वह यह चुनाव हार गयी थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी संजीव जीवा ने अपनी पत्नी को टिकट दिलाने के प्रयास किये थे, परन्तु यह प्रयास सफल नहीं हो पाये थे। सूत्रों की मानें तो संजीव जीवा 22 मुकदमों में से 17 मुकदमों में बरी हो चुका है, जबकि बाकी मुकदमों में भी बरी होने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। जेल से छूटने के बाद संजीव जीवा भी राजनीति में कदम रखेगा, जिसके लिए वह जमीन तैयार कर रहा है।

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पुलिस प्रशासन संजीव जीवा पर कस रहा शिकंजा
फतेहपुर जेल में बंद कुख्यात संजीव जीवा पर पुलिस व प्रशासन द्वारा शिकंजा कसना शुरू कर दिया गया है। मुजफ्फरनगर व शामली पुलिस प्रशासन द्वारा संजीव जीवा की लगभग छह करोड़ की संपत्ति को सीजा किया जा चुका है, जबकि उसकी बाकी की संपत्तियों की भी सूचि तैयार कराई जा रही है। माना जा रहा है कि पुलिस प्रशासन संजीव जीवा को आर्थिक चोट पहुंचाकर उसकी कमर तोड़ना चाहता है। पुलिस प्रशासन द्वारा शामली जनपद की ग्राम बलावा में कृषि भूमि और जाट कालोनी आवासीय भूखंड की जमीन व संपत्ति को पुलिस-प्रशासन ने गैंगस्टर एक्ट की धारा 14 (1) के तहत कुर्क कर लिया है। कुर्क की गई संपत्ति की कीमत करीब सवा दो करोड़ रुपये बताई जा रही है। साथ ही, कुर्क की जमीन पर पुलिस ने नोटिस बोर्ड भी लगा दिया है। ये कार्रवाई बाबरी थाना की रिपोर्ट के आधार पर की गयी। बाबरी थाने के अनुसार संजीव उर्फ जीवा के द्वारा अपराध कर अवैध रूप से सम्पत्ति अर्जित की गई। अपराधी संजीव उर्फ जीवा के विरूद्ध लूट, डकैती, हत्या, धोखााड़ी, गैंगस्टर आदि धाराओं में जनपद शामली के अलावा आसपास के जनपदों में गैंगस्टर एक्ट सहित करीब दो दर्जन से अधिक मुकदमें दर्ज हैं।
दूसरी ओर मुजफ्फरनगर जिला प्रशासन की टीम ने भारी पुलिस बल के साथ प्रेमपुरी में गैंगस्टर माफिया संजीव जीवा की 4 करोड रुपए की संपत्ति जब्त कर ली है, एक मकान व 2 दुकान भी शामिल है। यह कार्रवाई सीओ सिटी कुलदीप सिंह के नेतृत्व में आज जिला प्रशासन व पुलिस टीम ने मिलकर की। पुलिस के अनुसार संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा
वर्ष 1995 से लगातार संगीन घटनाओं को अंजाम देता रहा है। अभियुक्त संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा उपरोक्त गैंग लीड़र अपराधी है, जिसके विरुद्ध हत्या, रंगदारी, लूट, डकैती, अपहरण, गैंगस्टर जैसी संगीन धाराओं में 2 दर्जन अभियोग पंजीकृत है। अभियुक्त संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की सीज की गयी चलध्अचल सम्पत्ति में 131 वर्गमीटर का 3 मंजिला मकान, जिसमें दुकानें बनी हुई हैं।