*पीली रेत के काले कारनामे

in #mukesh2 years ago


*क्या अंधेरी रात में रेत माफिया करा रहे खनिज अधिकारियों को फीलगुड ?*


छतपुर, वैसे तो जिले में खनिज संपदा की भरमार है चाहे ग्रेनाइट हो या लौह अयस्क, रेड ऑक्सआइड हो गौरा पत्थर या अन्य खनिज पदार्थ मगर सबसे ज्यादा चर्चा रेत की होती है रेत ठेकेदार हो या माफिया सब खनिज अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक ध्यान बाखूबी रखते हैं । जिसके बदले में अधिकारी भी वैध से ज्यादा अवैध खनन को छूट दिए रहते हैं । वहीं रेत माफियाओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई भी रेत खदानों में देखने में आई है ।

पहाड़ों से अवैध खनन हो या घरती का सीना चीरा जा रहा हो नदियों के मूल स्वरूप को बिगाड़ा जा रहा हो या पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा हो संबंधित विभाग इन पर कार्यवाही करने से कतराते नजर आते हैं । 

जब जब मीडिया जान जोखिम में डालकर इन घटनाओं को उजागर करती है तब सैटिंग के तहत इक्का दुक्का छुटपुट कार्यवाही करके अधिकारी वरिष्ठ अधिकारियों के सामने वाहवाही लूटते नजर आते हैं ।

जिले में रेत माफियाओं द्वारा लगातार अवैध रूप से रेत का उत्खनन किया जा रहा है । जीवन दायिनी नदियों के स्वरूप के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है नदियों में लिफ्टर की मदद से रेत का दोहन किया जा रहा है । नदियों को पाटकर आवागमन के लिए अवैध पुल बनाये जा रहे हैं । पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा है । परिणाम स्वरूप नदियों में जल स्तर कम होने के साथ नदियां गांव से दूर होती जा रही हैं । 

ऐसा नहीं है कि इन सब की जानकारी अधिकारियों को नहीं है बावजूद इसके रेत माफियाओं पर कार्यवाही नहीं होती । अगर किसी पर कार्यवाही होती है तो वह है रेत का परिवहन करने वाले छोटे छोटे ट्रैक्टर चालकों पर । क्योंकि बड़े मगरमच्छ तो अपने रसूख के दम पर प्रशासन से सांठगांठ करके अधिकारियों को फीलगुड का एहसास कराते रहते हैं । 

पिछले दिनों लवकुश नगर में डीजी मिनरल्स नाम की ग्रेनाइट कंपनी की लापरवाही से एक निजी कॉलेज के छात्रों को अपनी जान गवानी पड़ी थी । कुछ दिनों पहले एक और पहाड़ पर मजदूर की मौत चर्चा में रही रेत खदान पर भी गोली लगने से रुद्र पटेल घायल हो गया था । और भी बहुत घटनाएं हैं जो खनन माफिया के द्वारा घटित हुई मगर एक दो दिन की सुगबुगाहट के बाद इन पर बिराम लग जाता है । 

जिले में शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि रेत माफियाओं द्वारा खनिज विभाग के किसी कर्मचारी पर हमला किया गया हो और खनिज विभाग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों में खौफ भी इतना कि लगभग 24 घंटे तक पुलिस को सूचना भी नहीं दी । जनचर्चा ये भी रही कि एक रेत माफिया को घेरने के लिए दूसरे रेत माफिया के इशारे पर खनिज विभाग की पूरी टीम काम कर रही है जिसके एवज में कमाई का एक बड़ा हिस्सा खनिज अधिकारी को दिया जा रहा है । 

अब इस पूरे घटनाक्रम में क्या सच्चाई है ये तो जांच में ही साबित होगा । मगर जिले के खनिज का अवैध खनन, खनिज माफियाओं द्वारा लगातार किया जाना उस पर भी कार्यवाही न के बराबर होना खनिज अधिकारी को संदेह के घेरे में जरूर खड़ा करता है ।