बिरसा मुंडा और उनके जैसे लाखों आदिवासियों को विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने के लिए ..

in #mp2 years ago

:-: वास्तविकता :-: शशि देव पांडे

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बिरसा मुंडा और उनके जैसे लाखों आदिवासियों को विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने के लिए 1860,70,80,90 के दशक में ईसाई बनना पड़ता था,और जो ईसाई नहीं बनता था,उसे आर्थिक, मानसिक, शारीरिक, सामाजिक स्तर पर प्रताड़ित किया जाता था,कानूनों के माध्यम से।बिरसा डेविड से पुनः बिरसा मुंडा बनना,इन ईसाइ मिशनरियों के विरुद्ध विद्रोह था।उसके बाद मिशनरियों द्वारा किये गए कृत्यों को ब्राह्मण द्वारा किए गए कृत्य बताकर,भारतीयों में आपस में फूट डलवाई गई औऱ इस कार्य मे जिन लोगों ने ब्रिटिशों का सहयोग किया ,उन्हें महापुरुष और जिन्होंने विद्रोह किया,उनका नाम इतिहास से मिटा दिया गया। मुंडा और उनके जैसे अनेकों आदिवासियों ने जिन कानूनों का विरोध किया था,वहीं कानून आज 2022 में अभी तक लागू हैं।अब स्वन्त्रता के बाद फिर इन काले कानूनों को किसने लागू किया,इसकी जानकारी सरकार या कोर्ट से मांगिए ?? आदिवासी समाज मनुस्मृति का पालन करता था,इसलिए उनके मन मनुस्मृति को जलाकर,हीनभावना भरी गई, लेकिन अंतिम विजय सत्य की ही होगी।
धन्यवाद :- बदला नहीं बदलाव चाहिए