छतरपुर विकास मंच ने यूजीसी निरीक्षण दल को दिया ज्ञापन

in #mp2 years ago

IMG-20220523-WA0046.jpgएक-एक बिन्दु की बारीकी से जांच की मांग
छतरपुर। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का एक निरीक्षण दल महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय छतरपुर के निरीक्षण में आया है। सागर संभाग के 190 महाविद्यालयों को जोड़कर बनाए गए बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में 130 वर्ष पुराने महाराजा कॉलेज का विलय कर दिया गया है। यूजीसी टीम को विश्वविद्यालय प्रबंधन गुमराह करने का प्रयास कर अपना काम सफल करने में जुटा है। छतरपुर विकास मंच के बैनर तले निरीक्षण दल के सदस्यों को एक ज्ञापन देकर बिन्दुवार बारीकी से जांच किए जाने की मांग की गई है।
वर्ष 2015 से 2021 के बीच सिर्फ परीक्षाएं आयोजित कराने वाले महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय ने चालू शैक्षणिक सत्र में 13 हजार से अधिक प्रवेश ले लिए हैं लेकिन विश्वविद्यालय के पास न तो बैठने की व्यवस्था है और न ही इतने विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए स्टाफ है। विश्वविद्यालय शैक्षणिक विभाग 6 माह पूर्व ही शुरू हुआ। नियम के मुताबिक कम से कम तीन वर्ष यूटीडी यानि विश्वविद्यालय शैक्षणिक विभाग संचालित होने के बाद ही निरीक्षण का कार्य होता है। छतरपुर विकास मंच की मांग है कि विश्वविद्यालय के पास खुद का भवन तथा अधोसंरचना न होने के बाद भी नियम विरूद्ध कार्य किया जा रहा है इसकी जांच हो। निरीक्षण दल यह भी देखे कि वर्तमान में विश्वविद्यालय में महाराजा कॉलेज के विलय के बाद भी संपत्ति का मालिकाना हक मप्र शासन का है ऐसी स्थिति में विश्वविद्यालय की स्वयं के भवन की दलील कहां तक उचित है। मंच के जिलाध्यक्ष अरविंद गोस्वामी के नेतृत्व मंच के मार्गदर्शक मण्डल के सदस्य वरिष्ठ पत्रकार हरि अग्रवाल, धीरज चतुर्वेदी, सुशील दुबे की उपस्थिति में दिए गए ज्ञापन में पांच बिन्दु शामिल किए गए हैं। इन सभी बिन्दुओं की ईमानदारी और निष्पक्षता से जांच की मांग की गई है। ज्ञापन के दौरान युवक कांग्रेस के अध्यक्ष लोकेन्द्र वर्मा, छात्र एकता परिषद के जिलाध्यक्ष दीपक गोस्वामी, नगर अध्यक्ष शशांक गोस्वामी, एनएसयूआईघ् के आनंद द्विवेदी, जीवन अहिरवार, मनोज दुबे, नरेश यादव, सोनू गोस्वामी, मनीष सेन, भरत अहिरवार, सुनील तिवारी सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।