प्रेम और सद्भाव का संदेश देते अशोक नगर पहुंची इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा

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WhatsApp Image 2022-05-18 at 5.58.58 AM.jpegइप्टा की ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा का 40वां दिन।
जनगीत, लोकनृत्य, नाटक के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन

अशोक नगर। 'हम हैं इसके मालिक, हिंदुस्तान हमारा', 'साधो देखो जग बौराना, सांची कहे तो मारन धावे-झूठे जग पतियाना' आदि जनगीतों के साथ बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। 50 की संख्या में सात साल के बच्चे से लेकर किशोर तक एक लय, एक धुन में गाते हुए ऐसे लग रहे थे, जैसे एक गुलदस्ते में अलग-अलग रंग व आकार में दिखने वाले फूल एक ही तरह की खुशबू फैला रहे हों। यह ख़ुशबू थी प्रेम की, हिंदुस्तान की, जागरूकता की, वैज्ञानिक चेतना की।

मौका था आज़ादी के 75 वें वर्ष में इप्टा द्वारा निकाली जा रही 'ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा' के अशोकनगर पहुंचने का। पांच राज्यों से होकर गुजरने वाली यह यात्रा जब 40वें दिन अशोकनगर पहुंची तो अशोकनगर इप्टा की इकाई द्वारा ब्लू चिप स्कूल में यात्रा में चल रहे साथियों के साथ जनता का संवाद और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम में जनगीतों के साथ ही अशोक नगर इप्टा के साथियों द्वारा बुंदेलखंडी लोकनृत्य 'नच नारी' प्रस्तुत किया गया। "दै दये वीरों ने प्राण, दै दये वीरों ने प्राण, देश आज़ाद करा दये हां......." लोकगीत के साथ हार्मोनियम, ढोलक की थाप पर इप्टा के कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति दी।

स्वतंत्रता सेनानी व पत्रकार अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी के जीवन अंशों पर आधारित नाटक प्रस्तुत किया गया। नाटककार आदित्य निर्मलकर के निर्देशन में इप्टा के साथियों द्वारा प्रस्तुत नाटक में विद्यार्थी जी के जीवन और उनकी क्रांतिकारी पात्रकारिता को दिखाते हुए मुद्दे से भटकती वर्तमान पत्रकारिता पर तंज कसती है। अलग-अलग दृश्यों को रचते हुए नाटक पत्रकारिता के मूल्यों और पतन पर प्रकाश डालता है।

शुरुआत से सांस्कृतिक यात्रा के जत्थे में शामिल रहे युवा पत्रकार व इप्टा के साथी मृगेन्द्र ने यात्रा संस्मरण सुनाते हुए कहा कि आज़ादी के 75 वें वर्ष में कबीर के 'ढाई आखर प्रेम के' संदेश को लेकर निकली यह यात्रा प्रेम सद्भाव का संदेश देने के साथ ही आज़ादी के उन मूल्यों की तलाश है, जिनकी बुनियाद में यह देश टिका है। देश के नायकों को याद करते हुए, उनके विचारों से खुद को समृद्ध बनाते हुए, जनता के साथ संवाद कायम करते हुए हजारों किलोमीटर की यह यात्रा कई, गांवों, शहरों, कस्बों से होकर गुजर रही है।
उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों, शहीदों, साहित्यकारों, रचनाकारों, कलाकारों के घर के आंगन, ड्योढ़ी की मिट्टी 'साझी शहादत-साझी विरासत' के प्रतीक पात्र में संग्रहित की जा रही है। आम जन को केन्द्रित इस यात्रा में कविता, जनगीत और नाटकों के माध्यम से जनता के साथ संवाद किया जा रहा है और जगह-जगह बहुत सारे लोग शामिल भी हो रहे हैं।

जत्थे में शामिल दिल्ली इप्टा के साथी मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि प्रेम और आज़ादी एक दूसरे के पूरक हैं और कबीर के संदेश के साथ निकली यह यात्रा सांस्कृतिक पुनर्जागरण करते हुए प्रेम की बात करती है। हमारी मिली जुली संस्कृति और विरासत बची रहे इसलिए यह यात्रा निकाली गई है।

इंदौर इप्टा के साथी हरनाम सिंह ने कहा कि किसी भी समाज या देश का निर्माण प्रेम से होता है। नफ़रत और घृणा मिटाने का काम करती है।

अशोक नगर इप्टा की अध्यक्ष सीमा राजोरिया ने कहा कि इप्टा कला और संस्कृति को बढ़ावा देने वाली समता, एकता, न्याय, बन्धुत्व, समानता आदि संवैधानिक मूल्यों के साथ काम करने वाली संस्था है। जिस विचार के साथ यह यात्रा बढ़ रही है, इप्टा की यह कार्यशाला उन्ही विचारों को लेकर बच्चों के साथ काम कर रही है।

कार्यक्रम का संचालन अशोक नगर प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष पंकज दीक्षित ने किया।