अफसर के साथ ..जवाब तो देना होगा ..?
मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत सार्वजनिक सड़कों पर इस्तेमाल होने वाले वाहन का पंजीकृत होना जरूरी है पंजीयन के पूर्व वाहन का निरीक्षण संबंधित जिले के आरटीओ करते है, केन्द्रिय मोटर वाहन नियम 1989 के नियम 81 के तहत शुल्क जमा एवं नियम 86 एवं 87 के तहत परमिट जारी किये जाते है। टीकमगढ़ के वाहन स्वामियों द्वारा न सिर्फ विभाग की मिलीभगत से बल्कि वाहन डीलरों की सहमति से 17 सीटर वाहनों को 12 सीटर वाहनों में तब्दील कर रजिस्टर्ड करा लिए है तदुपरांत आल इण्डिया टूरिस्ट परमिट प्राप्त कर रोजाना सड़कों पर दौड़ा कर सवारियों से दोगुना किराया बसूल रहे हैं वही निर्धारित रूट परमिट इंदौर- भोपाल बसों को लग्जरी स्लीपर बस तैयार कर रोजाना बसों के ऊपर व्यापारिक ट्रांस्पोर्ट कर रहे है इससे म.प्र. शासन परिवहन विभाग को हर साल लाखों रूपये की राजस्व हानि हो रही है। मैं जानना चाहता हूं आखिर कैसे आरटीओ ने सत्रह सीटर वाहन को बारह सीटर में पास कर दिया ? क्यों इन लग्जरी बसों को नजर अंदाज किया जाता है आखिर यातायात विभाग और परिवहन विभाग की नजर ऐसे वाहनों पर अब तक क्यों नहीं पड़ी..? राज्य आर्थिक अपराध ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) टीकमगढ़ सहित सम्पूर्ण म.प्र. में ऐसे मामले की विवेचना को पूर्ण कर एक अभियोग हाईकोर्ट में पेश करने की यहां नागरिकों ने मांग की है क्योंकि चोर वाहन स्वामी रोजाना परिवहन टैक्स की चोरी कर रहे है और रोकने वाले खामोस है...?
@- एम.ए.खानअफसर टीकमगढ़
Good
धन्यवाद आदरणीय