21 माह बाद न्यायालय ने बनाया 307 का आरोपी

in #mp2 years ago

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टीकमगढ़..... आरोपियों व पुलिस की सांठगांठ के कई मामले अक्सर सामने आते रहते हैं जिनमे न्याय दिलाने की कसम खाने बाली पुलिस आरोपियों से सांठगांठ कर फरियादी को ठगने का कार्य करती है। लेकिन ऐसे समय मे न्यायालय अभी भी न्याय का मंदिर बना हुआ जहां फरियादी व पीड़ितों को न्याय दिलाने का कार्य किया जा रहा है। पुलिस व आरोपियों की सांठगांठ से खुद को ठगा महसूस कर रहे टीकमगढ़ जिले के दिगौड़ा थानांतर्गत ग्राम बैदऊ निवासी दुर्ग सिंह घोष को भी चर्चित बकील भूपेंद्र विरथरे की बजह से न्यायालय में न्याय मिला है।
दिगौड़ा थानांतर्गत ग्राम बैदऊ निवासी फरियादी दुर्ग सिंह घोष ने न्यायालय के आदेश की कॉपी देते हुए बताया कि दिनांक 24 अगस्त 2019 को जब बह अपने खेत से चारा लेकर घर जा रहा था तभी गांव के ही राजेन्द्र सिंह घोष, जयहिन्द सिंह घोष एबं धर्मेंद्र सिंह घोष ने रास्ता रोककर दुर्ग सिंह घोष पर जानलेबा हमला कर दिया। जिसमें राजेन्द्र सिहं ने दुर्ग सिंह के सिर में कल्हाडी मारी, दूसरी कुल्हाडी जयहिंद सिंह ने मारी जो हाथ में लगी, धर्मेन्द्र सिंह ने लाठी से मारपीट की। तभी मौके पर पीड़ित दुर्गसिंह के भाई तिलक सिंह घोष व भतीजे गजेन्द्र सिंह व लालू आ गये जिनके द्वारा बीच बचाव किया व दिगौडा थाने जाकर एफ.आई.आर लिखाई गई। दिगौड़ा पुलिस ने तीनों आरोपियो राजेन्द्र सिंह , धर्मेन्द्र सिंह व जयहिंद सिंह पर धारा 307 का मुकदमा भी दर्ज किया, लेकिन फिर दिगौड़ा पुलिस ने आरोपियों से सांठगांठ कर बाद में विवेचना के दौरान मुख्य अभियुक्त राजेन्द्र सिंह घोष का नाम एफआईआर से काट दिया और मात्र दो आरोपी धर्मेन्द्र सिंह व जयहिंद सिंह घोष के खिलाफ ही अभियोग पत्र प्रस्तुत किया। तब आरोपी व पुलिस की सांठगांठ से खुद को ठगा महसूस कर रहे पीड़ित दुर्ग सिंह घोष ने अपने बकील भूपेन्द्र विरथरे के माध्यम से न्यायालय में राजेन्द्र सिंह घोष को उक्त मामले में अभियुक्त बनाने के लिये धारा 319 दण्ड प्रक्रिया संहिता की याचिका दायर की। जिस पर बकील भूपेंद्र विरथरे की ठोस व साक्ष्य आधारित लंबी जिरह के चलने के उपरांत न्यायालय ने संज्ञान लिया और अभियुक्त राजेन्द्र सिंह घोष को पुनः 307 में आरोपी बनाकर उसके विरूद्ध उक्त धाराओं में शेष दो अभियुक्तों के साथ - साथ मुकदमा चलाने का निर्देश दिया। इस तरह न्यायालय ने आरोपी व दिगौड़ा पुलिस की सांठगांठ पर पानी फेरते हुए पीड़ित को प्राथमिक न्याय दिलाया। जिसमे बकील भूपेंद्र विरथरे की ठोस जिरह महत्वपूर्ण रही।