दस माह से लापता, अब हक जता रही है: आप ही बताएं, क्या करें?

in #missing3 days ago

मऊ 16 सितम्बरः(डेस्क)रविवार को पुलिस लाइन सभागार में आयोजित परिवार परामर्श की बैठक में एक महिला ने अपनी व्यथा सुनाई कि उसका पति उसे साथ नहीं रखना चाहता है। उसने कहा कि कई बार समझाने के बावजूद उसका पति उसे अपनाने के लिए तैयार नहीं है, जबकि उन्होंने एक-दूसरे के साथ जीने-मरने की कसम खाई थी।

-6186223482023558305_121.jpg

महिला के पति ने इस पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि उसकी पत्नी 10 महीने तक किसी अज्ञात के साथ चली गई थी और अब वह फिर से साथ रहने का दावा कर रही है। पति ने यह भी बताया कि उसकी पत्नी के भाई ने उसे फोन करके बताया था कि उसकी बहन लापता है, जिसके बाद उसने गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी।

बैठक में उपस्थित सदस्यों ने दोनों पक्षों से वार्ता की और निष्कर्ष न निकालने की स्थिति में कोर्ट जाने की सलाह दी। इस बैठक में कुल 56 मामले पेश किए गए, जिनमें से 16 मामलों का निस्तारण किया गया। तीन दंपतियों ने आपसी विवाद को भुलाकर एक साथ रहने का निर्णय लिया, जबकि 14 मामले पीड़िता की अनुपस्थिति और कोर्ट में चल रहे मुकदमे के कारण बंद कर दिए गए।

बैठक में सीओ सीटी अंजनी पांडेय के साथ सदस्य अर्चना उपाध्याय, सर्वेश दूबे, शाहिद पैरिस, और मौलवी अरशद भी मौजूद थे। इस प्रकार की बैठकें परिवारिक विवादों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और दंपतियों को एक-दूसरे के प्रति समझदारी और सहानुभूति विकसित करने का अवसर प्रदान करती हैं।

इस बैठक का उद्देश्य न केवल विवादों का समाधान करना है, बल्कि परिवारों के बीच संवाद को बढ़ावा देना भी है, जिससे कि वे आपसी रिश्तों को मजबूत कर सकें। ऐसे मामलों में, जहां पति-पत्नी के बीच मतभेद होते हैं, वहां इस तरह की काउंसलिंग से उन्हें एक नई दिशा मिल सकती है।

पुलिस परिवार परामर्श केंद्र की इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि समाज में पारिवारिक समस्याओं को सुलझाने के लिए संस्थागत प्रयास किए जा रहे हैं। यह न केवल दंपतियों के लिए, बल्कि उनके परिवारों के लिए भी एक सकारात्मक कदम है, जिससे समाज में सामंजस्य और शांति बनी रहे।

इस प्रकार की बैठकें न केवल कानूनी पहलुओं को समझने में मदद करती हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती हैं कि दंपती एक-दूसरे के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें और उन्हें निभाने का प्रयास करें। इस प्रक्रिया में, काउंसलर और अन्य सदस्य दंपतियों को सलाह देते हैं कि वे अपने रिश्तों को सुधारने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं।

इस बैठक में पेश किए गए मामलों की विविधता यह दर्शाती है कि परिवारिक विवादों का समाधान एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है, जिसमें भावनाओं, अपेक्षाओं और सामाजिक मानदंडों का ध्यान रखना आवश्यक है।

कुल मिलाकर, इस तरह की परिवार परामर्श बैठकें समाज में पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने और विवादों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह न केवल दंपतियों के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है कि वे अपने मुद्दों को संवाद और समझदारी के माध्यम से सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।