माहवारी स्वच्छता दिवस पर विशेष

in #mirzapur2 years ago (edited)
  • सेहत और सुरक्षा के लिए सैनेटरी पैड्स के लिए तय हैं मानक।
  • सोखने के साथ स्वच्छता और साइज भी है तय।
    नित्यवार्ता डेस्क :IMG_20220528_143020.jpg
    मिर्जापुर। माहवारी स्वच्छता दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य विभाग ने सभी केन्द्रों पर धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर सभी लड़कियों व महिलाओं ने बढ़चढ़कर अपनी भूमिका को दर्ज कराया। इस आशय की जानकारी अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डाक्टर अरूण ने दी। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि मासिक धर्म में जिन सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल स्वच्छता और सुरक्षा के लिए किया जाता है वह पूरी तरह से सुरक्षित हो और उससे महिलाओं की सेहत पर बुरा असर भी न पड़ेए इसके लिए सरकार ने मानक तय कर रखे हैं। इस अवसर पर विभाग ने जागरूक सम्बन्धी बैनर व पोस्टर केन्द्रों पर लगाकर सैनेटरी पैड बांटने का कार्य किया। राष्टीय बाल किशोर कार्यक्रम के प्रबन्धक राकेश तिवारी ने बताया कि इंडियन ब्यूरो ऑफ़ स्टैंडर्ड्स ने सैनेटरी पैड के लिए यह मानक मूल रूप से सन 1969 में प्रकाशित किया था जिसे फिर 1980 में संशोधित किया गयाद्य समय.समय पर इसमें बदलाव भी किए जाते रहे हैं। बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी वाणी वर्मा के अनुसार बाल विकास की ओर से जनपद के 2668 केन्द्रों पर माहवारी स्वच्छता दिवस मनाया गया। जिसमें विभाग की ओर से सैनिटरी पैड्स का वितरण किया गया। सैनिटरी नैपकिन या सैनिटरी पैड मासिक धर्म के दौरान रक्त को सोखने के लिए उपयोग किया जाता है। मासिक स्राव के मद्देनजर तय किए गए मानक के मुताबिक पैड्स एक उचित मोटाईए लंबाई और अवशोषण क्षमता वाले होने चाहिए। यानि सैनिटरी पैड का काम सिर्फ़ ब्लीडिंग को सोखना नहीं स्वच्छता हाइजिनद्धके पैरामीटर पर भी खरा उतरना है। अमूमन जब सैनिटरी पैड खरीदते हैं तो ब्रांड वैल्यू पर विश्वास करते हुए पै़ड्स ख़रीद लेते हैं जबकि सैनिटरी पैड की अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित करनेके लिए भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा सख्त विनिर्देश तैयार किए गए हैं। आईएस 5405 में मानदंडों और नियमों का विस्तृत विवरण हैए जिसका सैनिटरी पैड निर्माताओ कों पालन करना होता है।
  • सैनिटरी पैड गुणवत्ता के लिए मानक –
    सैनिटरी पैड बनाने के लिए अब्सॉर्बेंट फ़िल्टर और कवरिंग का सबसे अधिक ख़्याल रखना होता है। कवरिंग के लिए भी अच्छी क्वालिटी के कॉटन का इस्तेमाल होना चाहिए। फिल्टर मैटेरियल सेल्युलोज़ पल्प, सेल्युलोज़ अस्तर, टिशूज़ या कॉटन का होना चाहिए। इसमें गांठ, तेल के धब्बों, धूल और किसी भी चीज़ की मिलावट नहीं होनी चाहिए। यहआईएस 758 के अनुरूप होना चाहिए। नैपकिन में कम से कम60 मिलीलीटर और नैपकिन के वजन से 10 गुना तरल पदार्थ सोखने की क्षमता होना जरूरी है। नैपकीन का कवर (बाहरी परत) कपास, सिंथेटिक, जाली और बिना बुने हुए कपडे का और स्वच्छ होना चाहिए।निर्माता के नाम या ट्रेड मार्क के साथ सैनिटरी नैपकिन की संख्या हर पैकेट पर चिह्नित होनी चाहिए। सैनिटरी नैपकिन विभिन्न आकृतियों और डिजाइन के हो सकते हैं। नियमित पैड्स 210 एमएम, लार्ज 211 से 240 एमएम, एक्स्ट्रालार्ज 241 से 280 एमएम और एक्स एक्स एल यानि 281 एमएम से अधिक होना चाहिए। सैनिटरी पैड की सतह चिकनी, नरम और आराम दायक होनी चाहिए जिससे त्वचा को इंफेक्शन और जलन न हो। पैड पर चिपकाने वाले पदार्थो को सही जगह चिपकना चाहिए। पैड्स डिस्पोजेबल होना चाहिए यानि उन्हें 15 लीटर पानी के कंटेनर में डाल दें तो पैड्स को विघटित होना चाहिए। आईएसओ 17088: उत्पाद है या नहीं, बायो डिग्रेडेबल, कम्पोस्टेबल या ऑक्सी-डिग्रेडेबल है, इसकी जानकारी सैनिटरी नैपकिन के हर पैकेट पर अंकित किया जाए। पैड्स की पैकिंग गत्ते का डिब्बा बोर्ड, पॉलीथीन, पॉली प्रोपाइलीन, पॉलिएस्टर या अन्य जो पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करती हो उसी में होनी चाहिए।
  • इस तरह पहचानें नैपकीन-
    बाजार से नैपकिन खरीदते समय नैपकिन की सोखने की क्षमता 60 मिलीलीटर से कम लिखी है और प्लास्टिक रहित नहीं लिखा है तो नैपकिन न खरीदे। नैपकिन पर 60 मिलीलीटर पानी दो बार में 5-5 मिनट के अंतराल में धीरे-धीरे डालें तथा 10 मिनट के बाद नैपकिन का सूखापन हाथ से देखें। नैपकिन से पानी वापस नहीं निकलता है तो सोखने की क्षमता मानको के अनुसार है। नैपकिन को छूकर उसकी सतह की पहचान करें कि उसकी सतह कितनी मुलायम है। कहीं पॉलिथीन का अगर प्रयोग हुआ है तो नैपकिन से हवा पास नहीं होगी। अतः ऐसा नैपकीन न खरीदें नहीं तो लाल दाने और खुजली जैसी समस्या सूखेपन के बाबजूद हो सकती है।