ग्वालियर की डॉ. निवेदिता शर्मा चतुर्वेदी बनी राज्य बाल आयोग की सदस्य
भोपाल । मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों के नामों की घोषणा कर दी गई है। मप्र शासन महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा राज्यपाल के नाम जारी शासन के पत्र में द्रविंद्र मोरे को जहां राज्य बाल संरक्षण आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं ग्वालियर की डॉ. निवेदिता शर्मा चतुर्वेदी को मप्र शासन ने सदस्य नियुक्त किया है। इनके साथ अन्य पांच सदस्यों की भी नियुक्ति की गई है।
उल्लेखनीय है कि डॉ. निवेदिता शर्मा चतुर्वेदी की स्कूली एवं उच्चशिक्षा की पढ़ाई ग्वालियर में हुई है। उन्होंने सरस्वती शिशु मंदिर से विद्यालयीन एवं जीवाजी विश्वविद्यालय से सूक्ष्मजीव विज्ञान में पी-एचडी तक अध्ययन किया है। इस दौरान लगातार बालक एवं महिलाओं के हक में लगातार सक्रिय रहने एवं अध्ययन के बाद इस क्षेत्र को सेवा मानकर कार्य करने के चलते उन्हें शासन से राज्य स्तर पर बालकों के संरक्षण के लिए कार्य करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। इससे पूर्व वे भोपाल बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) सदस्य थीं।
इनके व्यक्तित्व को लेकर पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेन्द्र बरुआ कहते हैं कि छात्र जीवन से ही निवेदिताजी राष्ट्रवादी विचारों से जुड़ गईं थीं और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में वे मध्य भारत प्रांत की लगातार पांच बार छात्रा प्रमुख रहीं। उस समय छात्रों के हित में विशेषकर छात्राओं एवं महिलाओं के हित एवं उनसे जुड़े तमाम विषयों पर आप अत्यधिक सक्रिय रही हैं। शासन द्वारा उन्हें बाल संरक्षण आयोग की जिम्मेदारी से जोड़ना वास्तव में यह एक सही निर्णय है। हम आशा करें कि वे इस दायित्व पर रहते हुए प्रदेश के बालकों के हक में निर्णय करेंगी और शासन को भी समय-समय पर उनसे जुड़े विषयों से अवगत कराएंगी।
वहीं भोपाल में सफलता से संचालित हो रही एनजीओ 'बाल निकेतन' के अधीक्षक हरिओम शर्मा ने कहा कि पूर्व में उनका बाल कल्याण समिति सदस्य के रूप में कार्यकाल देखने का अनुभव रहा है। लगातार कई सही निर्णय लेते हुए उन्होंने जिस तरह से बच्चों के लिए कार्य किया था, वह हमारे लिए ही नहीं बल्कि पूरे सिस्टम में एक मिसाल के तौर पर है। इसके साथ ही उनके साथ कार्य कर चुके पूर्व सीडब्ल्यूसी सदस्य राजीव जैन और कृपाशंकर चौबे ने कहा कि वे बच्चों के लिए जो कार्य करती रहीं, उसमें विशेष यह रहा कि उन्हें कानूनों की बहुत जानकारी है, इसलिए उनके इस ज्ञान का लाभ तत्कालीन बाल कल्याण समिति को बहुत हुआ और हमें कभी भी सामूहिक निर्णय लेने में दिक्कत नहीं आई, जिसमें कह सकते हैं कि सभी लिए गए निर्णय अब तक सही साबित हुए हैं।
इनके अलावा अभी सीडब्ल्यूसी सदस्य मीना शर्मा कहती हैं कि डॉ. निवेदिता ने अपने कार्यकाल में कई बोल्ड निर्णय लिए, जिनकी प्रशंसा अभी भी महिला बाल विकास विभाग करता है। उनकी कर्मठता एवं कार्यकुशलता से जो लाभ तत्कालीन सीडब्ल्यूसी को रहा, हम उम्मीद करते हैं कि वही आगे राज्य बाल आयोग सदस्य के रूप में अब प्रदेश भर को होगा।
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