वृंदावन में 10 हजार मुस्लिम कारीगर बनाते हैं भगवान की पगड़ी, इंग्लैंड से इंडोनेशिया तक सप्लाई

in #mathura2 years ago

मथुरा-वृंदावन में जन्माष्टमी को लेकर मुस्लिम समुदाय भी उत्साह से भरा हुआ है। वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर से करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर साई मस्जिद है। मस्जिद के चारों तरफ मुस्लिम समुदाय के लोग श्री कृष्ण की पोशाक और राधा जी की चुनरी बनाने में लगे हुए हैं। वृंदावन में भगवान की पोशाक बनाने वाले 40 कारखाने हैं। इनमें 10 हजार से ज्यादा मुस्लिम कारीगर दिन-रात काम कर रहे हैं। भगवान कृष्ण के जन्मदिन को लेकर यहां के मुस्लिमों में कितना उत्साह है? इस काम को वो कब से कर रहे हैं? ऐसे कई सवाल लेकर भास्कर वृंदावन के 12 कारखानों में पहुंचा। आइए, बारी-बारी कारीगरों की बातों पर चलते हैं…

60 साल से बना रहे भगवान की पोशाक-साई मस्जिद के ठीक सामने मौजूद मैनुद्दीन खान का पोशाक कारखाना है। कारखाने में 15 से 20 कारीगर काम करते हैं। 58 साल के मैनुद्दीन ने बताया, “मैं भगवान की पोशाक बनाने का काम पिछले 40 साल से कर रहा हूं। वृंदावन में ये काम 50-60 वर्षों से हो रहा है। सिर्फ राधा-कृष्ण ही नहीं, हम सभी भगवान की पोशाक बनाने का काम करते हैं। जन्माष्टमी पर हम बांके-बिहारी और राधा के लिए खास जरी-कढ़ाई वाली पोशाक तैयार करते हैं।”

राधा का लहंगा बनने में लगते हैं 8 दिन, कीमत 8 हजार
10 सालों से राधा की चुनरी और लहंगा बनाने वाले सोनू खान कहते हैं, “बांके-बिहारी का पटका, पगड़ी, धोती और राधा की चुनरी बनाने में 1-2 दिन का ही वक्त लगता है, लेकिन राधा का लहंगा बनाने में 7 से 8 दिन लग जाते हैं। 4 से 5 कारीगर हर दिन 15-16 घंटे काम करके खूबसूरत लहंगा तैयार करते हैं। इस लहंगे की कीमत 8 से 10 हजार तक होती है।

साफ-सफाई और शुद्धता से होता है काम
सोनू खान आगे कहते हैं, “भगवान की पोशाक बनाते समय हम साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखते हैं। बांके बिहारी को राजी-खुशी करना ही हमारा मकसद है। आमतौर पर कढ़ाई और जरी का काम करते वक्त धागे को गीला किया जाता है, लेकिन भगवान की पोशाक बनाते वक्त शुद्धता हमारी प्राथमिकता होती है।"

वृंदावन सबसे बड़ी पोशाक मंडी, विदेशों तक होती है सप्लाई-मस्जिद के बगल में एक बड़ा जरी-पोशाक का कारखाना चला रहे रिजवान ने बताया, “वृंदावन में बनने वाली भगवान की पोशाक देश के साथ दुनियाभर में प्रचलित है। हमारे पास अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जापान, नेपाल, थाईलैंड और इंडोनेशिया तक से ऑफर आते हैं। देश और दुनिया के करीब 90% मंदिरों के भगवान वृंदावन की बनी पोशाक ही पहनते हैं।”8AF40E76-87F1-40DC-9D08-A66C484510E9.jpegB77F8881-44AF-43F8-B325-57199E6E94EE.jpeg

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