डेढ करोड का पैकेज छोड चल पडें संयम पथ की ओर अगले माह लेंगे दीक्षा मुमुक्ष प्रान्शुक कांठेड

in #mandsaur2 years ago

मंदसौर। वैराग्य उत्पन्न होता है तब सबकुछ छोटा और नगण्य नजर आने लगता है। फिर चाहे समाने लाखों का पैकेज ही क्यों न हो। मप्र के देवास जिले के हाटपिपिलया निवासी प्रान्शुक कांठेड जो कि अगले माह जैन धर्म की दीक्षा अंगीकार करने वाले है। वह मंगलवार को मंदसौर पहंचे जहां उनका स्वागत सम्मान किया गया।20221123_205236.jpg मंदसौर के कांग्रेस नेता रहें स्व विरेन्द्र कुमार नाहटा के साले के पुत्र और उद्योगपति कपिल नाहटा के भाई प्रान्शुक कांठेड संयम पथ पर अग्रसर होने वाले है। इस हेतु वे मंदसौर पधारें यहां पर मुमुक्षु का जोरदार स्वागत सम्मान किया गया। कपिल नाहटा और मनोहर नाहटा ने बताया कि प्रान्शुक कांठेड का जन्म 28 अगस्त 1994 को देवास जिले के हाटपिपलिया में हुआ। कांठेड ने इंजिनियर की ड्रिग्री इंदौर के एसजीएस आईटीएस काॅलेज से प्राप्त कि और अमेरिका से मास्टर्स की डिग्री हासिल की। इसके बाद अमेंरिका में ही नौकरी करते हुए प्रान्शुक कांठेड का डेढ करोड का पैकेज था लेकिन वैराग्य उत्पन्न हुआ और वर्ष 2021 में जाॅब छोड भारत लौट आयें। प्रान्शुक कांठेड के पिता राकेश कांठेड व्यवसायी, माता पुष्पा कांठेड गुहणी एवं छोटा भाई प्रबल कांठेड सीए है। वर्ष 2009 मे प्रान्शुक कांठेड को प्रथम बार वैराग्य उत्पन्न हुआ और माता पिता को पत्र लिख दीक्षा की आज्ञा मांगी लेकिन उम्र कम होने के कारण उस समय किसी ने साथ नहीं दिया। लेकिन प्रान्शुक कांठेड के मन में कही न कही संयम पथ को अंगीकार करने की ठानी हुई थी। जैन संत श्रीउमेशमुनिजी मसा एवं अन्य साधु भगवंतों को सुनकर प्रान्शुक कांठेड को लगातार वैराग्य उत्पन्न होता रहा। अब पपू साधु जिनेन्द्रमुनिजी के सानिध्य में अगले माह में दीक्षा ग्रहण करेंगे। प्रान्शुक कांठेड के परिवार से पूर्व में सांसारिक नानाजी और मौसीजी ने भी दीक्षा ग्रहण की हुई है। जो चन्द्रेशमुनि जी मसा और श्री श्रद्धाश्रीजी मसा के नाम से जाने व पहचाने जाते है।