पांच गांव के लोगों ने मिलकर वीरान पहाड़ी को किया हरा भरा

in #mandla2 years ago (edited)

लोगों को दे रहे पर्यावरण को संरक्षित करने का संदेश, गांव को हरा भरा रखने बनाए नियम, कानून
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प्रहलाद कछवाहा
मंडला. वनांचल, ग्रामीण क्षेत्रों के लोग जैसे अपने खेत, बगीचों की देख भाल करते हैं, उसी तरह विकासखंड बिछिया के पांच ग्राम सिद्ध बाबा पहाड़ी की देखभाल करने लगे। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी। दो-तीन सालों में ही सूखी पहाड़ी में हरियाली लौटने लगी। बंजर पहाड़ी में नए पौधे अंकुरित होने लगे, पौधे तैयार होने लगे। हरियाली बिछते ही विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे दिखाई देने लगे और आज 50 हेक्टेयर में ग्रामीणों द्वारा लगाए गए पौधे लहलहा रहे है। ग्रामीणों ने इसके लिए पांच गांवो को मिलाकर एक सिद्ध बाबा मंच बनाए, जिसमें सैकड़ों ग्रामीणों की सहभागिता है।
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जानकारी अनुसार विकासखंड बिछिया के अंतर्गत करीब 3200 की जनसंख्या के पांच गांव के बीच एक वीरान पहाड़ी स्थित थी। जिसे हरा भरा करने के लिए ग्राम के लोगों ने एक सिद्ध बाबा मंच बनाया गया। ये पांच गांव इस पहाड़ी के पूर्व में कन्हारी खुर्द का महुआ, झुलूप टोला, पश्चिम में सुरेहला, उत्तर में कन्हरी खुर्द, दक्षिण में कन्हरी कला से घिरा हुआ है। इस पहाड़ी का क्षेत्रफल 125 एकड़ में फैला हुआ है। ये पहाड़ी पहले वीरान थी, पेड़, पौधों का नामोनिशान नहीं था, यहां ना तो कोई जीव जंतु थे, ना ही पशु पक्षी विचरण करते थे, लेकिन आज की स्थिति में यह पहाड़ी हरे भरे पेड़, पौधों की हरी चादर ओढ़ चुकी है। इस पहाड़ी की देखरेख इन पांच गांव के लोगों के जिम्मे है।
बता दे कि इस पहाड़ी के प्रति आस्था की शुरूआत इसी गांव की एक वृद्ध महिला में देखी गई। यह वृद्ध महिला रोजाना पहाड़ी के ऊपर जाकर पूजा अर्चन करती थी। इस पहाड़ी में एक पत्थर की बड़ी सी शिला स्थापित थी, जिसे सिद्ध बाबा के रूप में महिला इनकी पूजा अर्चना करती थी। इस महिला को देखकर ग्राम के लोगों के मन में था कि यह महिला प्रतिदिन इस वीरान पहाड़ी के ऊपर क्यों जाती है। लोगों के सब्र का बांध टूट गया और लोग इस पहाड़ी के ऊपर पहुंच गए। जहां लोगों ने देखा की इस पहाड़ी में एक बड़ी शिला स्थापित है, जिसे लोगों ने सिद्ध बाबा का नाम दे दिया। जिसके बाद इस पांच ग्राम के लोगों की आस्था इस पहाड़ी में स्थित सिद्ध बाबा के ऊपर बढ़ गई और लोग यहां पूजा अर्चन के लिए रोजाना जाने लगे।
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ग्रामीणों ने बताया कि इस सिद्ध बाबा पहाड़ी में पहले पेड़, पौधे नहीं थे और जो पेड़ पौधे थे वे पर्यावरण के प्रति जागरूकता की कमी के कारण उन पेड़ों को भी काट लिया गया। वर्ष 2008 में फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी इको संस्था द्वारा यहां पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास शुरू किया गया। जिसके लिए एफईएस संस्था ने इन पांच गांवों में प्रकृति संसाधन प्रबंधन समिति का गठन किया। संस्था पांच मुद्दो पर कार्य कर रही है, जिसमें जल, जंगल, जमीन, जन जानवर है। जब सिद्ध बाबा पहाड़ी को हरा भरा करने और इस पहाड़ी की सुरक्षा को लेकर लोगो से बात करना शुरु किया गया, तो लोगों को यह सब नामुकिन लग रहा था। लोगों का मानना था कि यह पहाड़ी कभी हरी भरी नहीं हो सकती, लेकिन एफईएस संस्था ने अपना प्रयास जारी रखा।
एक्स्पोजऱ विजिट ने बदले विचार :
बता दे कि लोगों के मन में बसे नामुकिन शब्द को अलग करने के लिए एफईएस संस्था ने इन ग्राम के कुछ लोगों को उड़ीसा एक्स्पोजऱ विजिट में ले जाया गया। जहां पर्यावरण से इन लोगों को रूबरू कराया गया। विजिट से लौटने के बाद ग्राम के लोगों का विचार इस पहाड़ी के प्रति बदल गया। जिसके बाद लोग अलग-अलग टोले में बैठक रखने लगे। बैठकों के माध्यम से लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने प्रेरित किया गया और इसकी सुरक्षा, संरक्षण के लिए नियम कानून बनाने की पहल की जाने लगी। इस पहाड़ी में जंगल बन जाने से क्या फायदे होंगे लोगों विस्तार से बताया गया। जिसके बाद ग्राम के लोग इसे संरक्षण के लिए हामी भर दी। इस पहाड़ी में जगल तैयार होने के बाद लोगों को इससे लघु वनोपज, लकड़ी, औषधीय जड़ी बूटी, कंदमूल शहद, जैव विविधता में परिवर्तन जो गांव और लोगों के लिए शुद्ध हवा अब दे रहा है।
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पर्यावरण को बचाने बनाए नियम, कानून :
बताया गया कि संस्था द्वारा विजिट में गए बनार सिंह उड़ीसा एक्स्पोजऱ विजिट से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने लोगों को जोडऩे का कार्य बखूबी किया। लोगों के साथ मिलकर बैठक करना, सिद्ध बाबा पहाड़ी को बचाने के लिए दीवार लेखन कराना और सिद्ध बाबा को बचाने के लिए पांच गांव में रैलियां निकालकर उसकी सुरक्षा का संदेश दिया गया। इसके बाद पांच गांव की एक विशाल बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में सभी ग्राम के लोग एक राय होकर निर्णय लिया कि सिद्ध बाबा पहाड़ी को बचाना है। लोगों ने इस संकल्प को मूर्तरूप देने नियम कानून बनाए। जिसमें कहां गया कि इस पहाड़ी से कोई लकड़ी नहीं काटेगा, अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाएंगे, उसकी सुरक्षा पूरे पांचों गांव के लोगों को मिलकर करना होगा, जो लकड़ी काटते पाया जाएगा। उससे 5 हजार रुपए जुर्माना लिया जाएगा, और बताने वाले को 500 रुपए इनाम दिया जाएगा।
जारी है बैठक का सिलसिला :
पांच गांव की बैठक में निर्णय के अनुसार लोगों ने इस सिद्ध बाबा पहाड़ी को पहाड़ी ना बोलकर सिद्ध बाबा मंच का नाम दिया गया। जिसका एक खाता खोला गया। सभी गांव वालों ने मिलकर चंदा किया और खाते को खुलवाया और निर्णय लिया गया कि सिद्ध बाबा मंच की बैठक प्रति माह के प्रथम सप्ताह में होगी। इस निर्णय के बाद सिद्ध बाबा मंच की बैठक का यह सिलसिला अभी भी लोगों के द्वारा जारी है।
लोगों की मेहनत रंग लाई :
वर्ष 2013 में संस्था द्वारा ग्राम के लोगों को 2500 पौधे दिए गए थे। हरियाली अमावस्या के पर्व में पांचो गांव के लोग एकत्र होकर पौधा रोपण किए। जिसमें बॉस, अबला, हर्रा, बहेड़ा, खमेर, नीम, बेल, भीलवा आदि पौधे रोपित किए गए। सिद्ध बाबा पहाड़ी आज भी लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। जिसकी सुरक्षा आज भी जारी है। इस वर्ष लोगों के द्वारा सिद्ध बाबा मंच से लघु वनोपज चार भीलवा बेल आंवला आदि लिया गया है जो पहले नहीं मिलता था इसे पाकर लोग बहुत ही प्रसन्न चित्त है। अब उन सभी को यह लगता है कि हमारी मेहनत रंग लाई है।

पहले हमें जंगली लघु वनोपज नहीं मिलता था और विभिन्न प्रकार के पशु पक्षी भी दिखाई नहीं देते थे। अभी के समय में पशु-पक्षी भी आने लगे हैं जिससे फसलो मैं होने वाले कीट कम हुए हैं। मधुमक्खी के छत्तों की मात्रा बढ़ी है और जैव विविधता में परिवर्तन हुआ है। हम लोगों को यही संदेश देते हैं कि सिद्ध बाबा पहाड़ी ही नहीं जितना हो सके जंगलों की सुरक्षा करें और अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाएं।
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लमिया बाई, ग्राम कन्हरी खुर्द

जहां पर पहले जंगल थे जो हमारे आदिवासी समाज का अहम हिस्सा रहा है और उन जंगलों से जरूरत की हर चीज प्राप्त होती थी और पशु पक्षी भी इन जंगलों में रहा करते थे। जो एक दूसरे के पूरक थे। लेकिन इंसानों की जरूरतों को पूरा करते करते वनों का रकबा घटते जा रहा है जिससे वहां रहने वाले पशु पक्षी विलुप्त होते जा रहे हैं, हम उन जंगलों को पुन: वैसा तो स्थापित नहीं कर सकते। लेकिन जहां जंगल समाप्त होते जा रहे हैं या समाप्त हो चुके हैं। ऐसे ग्राम के लोगो के साथ मिलकर पोधा रोपण द्वारा बिगड़े वनों का सुधार करने का प्रयास कर रहे हैं।
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धीरेश कुमार नामदेव
फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी इको रेस्टोरेशन गु्रप टीम, मंडला

जब गांव का संगठन मजबूत होगा, तो हम बड़े से बड़े कार्य कर सकते है और हम अपने गांव के प्राकृतिक संसाधनों को और बेहतर बना सकते है। इसी तरह हम पांच गांव के लोगों ने मिलकर इस सिद्ध बाबा पहाड़ी को हरी चादर की चुनरी ओढ़ाई है, हम सभी लोगों की मेहनत और इस जंगल को सुरक्षित और संरक्षण करने का संकल्प आज सबके सामने दिख रहा है।
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मलसो बाई यादव, ग्राम कन्हरी खुर्द