आज मंगलवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में मंगला गौरी व्रत

in #mandla2 years ago

Mangala Gori Vrat 1.PNG

  • मनोकामनाएं पूर्ण करेंगी मां पार्वती

मंडला। सावन माह में पडऩे वाले मंगलवार को माता मंगला गौरी की पूजा और व्रत किया जाता है। माता पार्वती के साथ इस दिन भगवान भोलेनाथ, गणेश जी और नंदी की पूजा भी की जाती है। मान्यता है कि पूजन के बाद मंगला गौरी व्रत कथा अवश्य पढऩी चाहिए। हिंदू धर्म में सावन के महीने को बहुत पवित्र माना गया है। इस माह में भगवान शिवजी के पूजा का विधान है। महादेव को समर्पित सावन माह के सोमवार और मंगलवार का विशेष महत्व है। सोमवार का दिन भोलेनाथ को समर्पित है। वहीं मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। इस दिन माता पार्वती की पूजन की जाती है। इस बार सावन का पहला मंगलवार आज 19 जुलाई को पड़ रहा है।
बता दे कि सनातन धर्म में सावन मास का बहुत खास महत्व बताया गया है। सावन के महीने में हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। इस साल चार मंगला गौरी व्रत रखे जाएंगे। सावन का पहला मंगला गौरी व्रत 19 जुलाई को पड़ रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार संतान सुख प्राप्ति, सुखी वैवाहिक जीवन की मनोकामना के लिए सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं इस व्रत को रखती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त करने के लिए मंगला गौरी व्रत पूजन के बाद व्रत कथा अवश्य पढऩी चाहिए।

  • मंगला गौरी व्रत शुभ मुहूर्त :
    मंगला गौरी व्रत में शुभ मुहूर्त में पूजा करना फलदायी होता है। इस बार मंगला गौरी व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। शुभ मुहूर्त सुबह 05.35 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12.12 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में पूजा करना लाभदायक रहेगा।

  • मंगला गौरी व्रत पूजा विधि :
    सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े धारण करें। घर के मंदिर में एक चौकी की स्थापना करें। उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। चौकी पर माता पार्वती और गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। देवी सोलह श्रृंगार, सूखे मेवे, नारियल, लौंग, सुपारी, इलायची और मिठाई अर्पित करें। इसके बाद आरती करें।

  • मंगला गौरी व्रत महत्व :
    मां गौरी व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखती है। इस व्रत को रखने से महिलाओं की सभी कामनाएं पूरी होती है। वहीं संतान प्राप्ति के लिए भी इस व्रत को रखा जाता है।

Mangala Gori Vrat.jpg

  • मंगला गौरी व्रत कथा :
    पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में धर्मपाल नामक एक धनवान सेठ था। उसके घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी केवल वह और उसकी पत्नी इस बात से दुखी थे कि उनके कोई संतान नहीं थी। संतान प्राप्ति की इच्छा से धर्मपाल सेठ ने कई यज्ञ और अनुष्ठान किए। उनकी पूजा से प्रसन्न होकर देवी मां ने कोई मन की इच्छा पूरी करने का वरदान दिया। यह सुनकर सेठ में देवी मां से कहा कि, हे माता! मेरे पास सब कुछ है, केवल मैं संतान सुख से वंचित हूं। इसलिए आप मुझे पुत्र प्राप्ति का वरदान दें।
    सेठ की मनोकामना सुनकर देवी ने कहा कि, धर्मपाल तुम्हारी पूजा से प्रसन्न होकर मैं तुम्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान तो दे देती हूं लेकिन तुम्हारा पुत्र केवल 16 साल तक जीवित रह सकेगा। यह सुनकर सेठ और उसकी पत्नी निराश तो हुए लेकिन उन्होंने फिर भी पुत्र प्राप्ति का वरदान स्वीकार कर लिया।
    माता रानी के वरदान के फलस्वरुप सेठानी ने एक पुत्र को जन्म दिया। सेठ ने अपने पुत्र का नाम चिरायु रखा। समय बीतने के साथ ही सेठ सेठानी को चिरायु की मृत्यु का भय सताने लगा। तब एक विद्वान पंडित ने धर्मपाल को यह सलाह दी कि वह अपने पुत्र चिरायु का विवाह एक ऐसी कन्या से करे जो मंगला गौरी का व्रत करती हो क्योंकि कन्या के व्रत के फलस्वरूप उसके पुत्र को दीर्घायु प्राप्त होगी।
    तत्पश्चात धर्मपाल ने विद्वान की बात सुनकर अपने बेटे की शादी ऐसी कन्या से कर दी जो मंगला गौरी व्रत रखती थी। तब कन्या के व्रत के फलस्वरुप सेठ के पुत्र चिरायु का अकाल मृत्यु दोष भी खत्म हो गया। मान्यता है कि तभी से सुखी वैवाहिक जीवन और संतान सुख के लिए मंगला गौरी व्रत रखा जाता है।

  • डिस्क्लेमर -
    इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)