कमजोर महिलाओं को चिकित्सा व कानूनी सहायता में मिलती है मदद
- सामाजिक समावेशन एवं सामाजिक न्याय के संबंध में दी जानकारी
- लोक अधिकार केन्द्र एवं वनस्टॉप सेंटर की बैठक संपन्न
मंडला। सामाजिक समावेशन एवं सामाजिक न्याय के संबंध में लोक अधिकार केन्द्र एवं वनस्टॉप सेंटर द्वारा कमजोर महिलाओं को चिकित्सा व कानूनी सहायता के लिए मदद करता है और घरेलू हिंसा के पीडि़तों के परिवारों को परामर्श देने के साथ पीडि़तों की हर संभव मदद भी करता है। ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज विभाग के अंतर्गत संचालित एनआरएल के डीपीएम बीडी भैसारे के मार्गदर्शन में एसआईएसडी जिला युवा सलाहकार सुधीर कुमार यादव ने समावेश, सशक्तिकरण और सामाजिक कार्रवाई की दिशा में एक कदम के रूप में एनआरएलएम के ऑन-ग्राउंड नेटवर्क के साथ अपने समन्वय की सुविधा के लिए वन स्टॉप फैसिलिटेशन सेंटर ओएससी मंडला का दौरा किया। जिसमें बीडी भैसारे, लक्ष्मी रजक, अमृता सिंह जिला प्रमुख, ओएससी, कृति सिंघई मौजूद रहे।
मंडला के निवास ब्लॉक में काम कर रहे एसआरएलएम ब्लॉक टीम ने एनजीओ "आनंदी" की मदद से स्थानीय महिला एसएचजी सदस्यों की मदद से "लोक अधिकार केंद्र" की स्थापना की है, जो "समता सखी" भी हैं। यह लोक अधिकार केंद्र राज्य के लिए एक मॉडल रहा है और मध्यप्रदेश के 18 अन्य जिलों में इसकी प्रतिकृति की योजना बनाई गई है।
जेंडर संवेदीकरण का देते है प्रशिक्षण :
बता दे कि यह केंद्र जमीनी स्तर पर ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग एवं विभिन्न विभागों की कल्याणकारी योजनाओं तक पहुंच की सुविधा प्रदान करता है। एसएचजी महिलाओं के लिए जेंडर संवेदीकरण प्रशिक्षण आयोजित करता है, कमजोर महिलाओं को चिकित्सा या कानूनी सहायता प्राप्त करने में मदद करता है, और घरेलू हिंसा के पीडि़तों के परिवारों को परामर्श देता है और पीडि़तों की हर संभव मदद करता है। वन-स्टॉप सेंटर के साथ लोक अधिकार केंद्र के सहयोग से उन्हें अपनी पहुंच का विस्तार करने और पीडि़तों को ओएससी के पास भेजकर उनकी मदद करने के लिए ज्ञान और साधनों से लैस करने में मदद मिलेगी। यह कदम एसआरएलएम टीम के व्यापक नेटवर्क के माध्यम से गांव स्तर पर ओएससी की पहुंच और प्रभाव को भी बढ़ाएगा।आगामी माह का लक्ष्य :
ओएससी को लोक अधिकार केंद्र से जोडऩे के अलावा, जिला एसआरएलएम टीम ने ओएससी को सीएलएफ की सामाजिक कार्य टीम के साथ जोडऩे का भी प्रस्ताव रखा है, ताकि अन्य ब्लॉकों में भी ओएससी की पहुंच और प्रभाव को बढ़ाया जा सके। यह एक अनूठा समन्वय है जो एसआरएलएम और ओएससी के बीच स्थापित है और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बहुत ही प्रगतिशील कदम है।
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