अधिक वर्षा से किसानो के चेहरे खिले व मवई की सड़क ने लिया नाले का रूप

in #mandla2 years ago (edited)

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शनिवार मवई बाजार के दिन मौसम ने बदला मिजाज अभी तक हल्की हल्की बारिश हो रही थी जिससे मौसम में कुछ हद तक की नमी बनी हुई थी लेकिन शनिवार के दिन जमकर बदरा बरसे दूर दराज से आए हुये ग्रामीणों ने दुकानों में पेड़ो के नीचे बाजार हाट में शरण लेते देखें गए पानी की बड़ी बड़ी बूँदे अधिक गति से गिर रहे थे जो की लगातार 2 घंटे तक गिरते रहे कुछ व्यपारियो की दुकानों में पानी भी गया किसी के घर में भी पानी घुसा अधिक पानी गिरने के कारण मवई मुख्य मार्ग की सड़को में पानी बहने लगता है जिससे मानो लगता है की सड़के नाले जैसे लगने लगती है पानी अधिक भर जाने के कारण रहवासियो को काफ़ी मसख्त करनी पडती है शनिवार का दिन मवई बाजार का दिन रहता है दूर दराज से ग्रामीण अपनी घर की जरूरत की सामग्री लेने बाजार आता है जिससे भी आवगमन काफ़ी प्रभावित होता है सड़को पर भी इतना पानी भर जाता है जिसके कारण ग्रामीणों को पैर रखने की भी जगह नहीं मिल पाता है
मवई में सड़क पर बरसात के दिनों में पानी भर जाना आम बात सी है और यह समस्या आज की नहीं काफ़ी वर्षो पुरानी भी हो चुकी है जिसका अभी तक उचित समाधान नहीं मिल पाया है

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कुछ प्रमुख कारणों से मवई में पानी नालिया में नहीं जा पाता है

  1. नालियों में कचरा का जमा हो जाने के कारण
  2. घरो या दुकानों का कचरा सीधे नालियों में डालना व सफाई नहीं करना
    3)घरो या दुकानों को लगातार सड़क से ऊपर उठाकर बनाये जाने के कारण
  3. नालियों में अतिक्रमण कर उनमे निर्माण कार्य करा देना
    पिछली पंचायत ने अपने अंतिम वर्ष में नई नालियों का निर्माण कार्य प्रारम्भ कराया था परन्तु आचार संहिता लगने से कार्य पूर्ण नहीं करा पाए यदि नाली का निर्माण पुनः प्रारम्भ होता है तो निश्चित रूप से ग्रामीणों को कुछ हद तक परेशानियों का कम सामना करना पड़ेगा
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खेतो में पानी न आने से किसान भाई काफ़ी परेशान हो रहे थे वह कयास लगा रहे थे की इस वर्ष पानी गम गिरेगा जिसका सीधा असर उनकी फसलों पर पड़ सकता था खेतो में इतना पानी जमा नहीं हो पा रहा था जिनसे वह खेतो में रोपा परहा का कार्य प्रारम्भ कर सके लेकिन शनिवार के पानी ने उनकी उम्मीद को थोड़ा जगा दिया जिनसे कुछ हद तक पानी खेतो में जमा हुआ है किसानो के चेहरे निश्चित रूप से इस पानी को देखकर खिलखिलाये होंगे लेकिन मवई ग्राम क्षेत्र की मिटी लाल पीली होने के कारण ज्यादा पानी को रोक कर नहीं रख पाती है जिनसे लगातार उन्हें पानी की आवश्यकता पड़ती रहती है धान की फ़सल के लिये अधिक पानी की आवश्यकता पड़ती है जो की मानसून पर ही निर्भर रहती है