अनाज मंडी कांड के बाद गली छोड़कर चले गए सभी परिवार

in #mandikand2 years ago

गाजियाबाद। नौ साल पहले हुई अनाज मंडी कांड को याद कर लोग आज भी सिहर उठते हैं। एक ही परिवार के सात लोगों की हत्या की इतनी दहशत हो गई थी कि पड़ोस में रहने वाला एक भी परिवार वहां पर नहीं रहा। सात मकान थे गली में, अब एक भी नहीं। एक-एक कर सभी परिवार चले गए। वहां सिर्फ दुकानें बची हैं। लोग राजनगर एक्सटेंशन, गोल्फ लिंक और अन्य सोसायटियों में जाकर रहने लगे।
22 मई आते ही हरे हो जाते हैं जख्म
जिस गली में वारदात हुई, उससे थोड़ी दूरी पर रहने वाले हीरालाल ने बताया, कारोबारी सतीश गोयल के यहां आना-जाना था। 21 मई 2013 को हम लोग अपने बेटे की शादी की तैयारियों में लगे थे। हल्दी की रस्म हुई थी। अगले दिन 22 को शादी में सतीश गोयल और उनके परिवार को भी शामिल होना था, लेकिन इससे पहले ही पूरे परिवार की हत्या कर दी गई। सब लोग सन्न रह गए थे। इसके बाद जब भी 22 मई आती है, हमारे जख्म हरे हो जाते हैं। बेटे की शादी की तारीख के साथ यह मनहूस कांड जुड़ गया। उनकी हत्या के दौरान घर से आवाज आई थी। सबने सोचा कि ऐसे ही कहासुनी हो रही होगी। क्या पता था कि कोई पूरे परिवार को मौत के घाट उतार रहा है। 22 की सुबह इसकी जानकारी हुई।
मजबूरी में बेचना पड़ा घर
हत्याकांड के बाद सतीश गोयल के परिवार में दो बेटियां शैली और सपना ही रह गई थीं। दोनों की शादी हो चुकी थी। वे मायके आतीं तो हत्याकांड की याद कर घंटो रोतीं। इसके बाद उन्होंने वहां जाना बंद कर दिया। वे दो बार गईं, दोनों बार कई दिन तक बेचैन रहीं। मुकदमे की पैरवी कर रहे शैली के पति सचिन ने बताया कि घर में जाने पर ऐसे लगता था कि जैसे घटना आज ही हुई है। ऐसे में घर को बेचने के सिवाय कोई चारा नहीं बचा। छह साल तक उस पर ताला लगा रहा। इसके बाद वह खंडहर में तबदील होने लगा। तब उसे बेच दिया। शैली गाजियाबाद में और सपना गुरुग्राम में रहती हैं।
हत्यारे को आज सुनाई जाएगी सजा
खल-चूरी कारोबारी सतीश गोयल, पत्नी मंजू गोयल, बेटे सचिन गोयल, सचिन की पत्नी रेखा, बेटे-बेटी अमन, मेघा और हनी की हत्या में दोषी करार दिए पूर्व ड्राइवर राहुल वर्मा को सोमवार को सजा सुनाई जाएगी। जेल के सूत्रों ने बताया कि दोषी करार दिए जाने के बाद वह गुमसुम है। उसने खाना भी कम ही खाया।
कोतवाल थे राहुल वर्मा के दादा
हीरालाल ने बताया कि सात लोगों की हत्या में दोषी करार दिए राहुल वर्मा के दादा कैलाश सिंह वर्मा उनके घर में किराए पर रहे थे। वह शहर कोतवाल थे। उनकी ईमानदारी के चर्चे दूर-दूर थे। महकमे में उनका नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता था।