दुष्टों के संहार,ऋषि मुनियों के कल्याण के लिए जन्मे राम - राजन

in #mahrajganj2 years ago

महराजगंज। घुघुली विकास खंड के हरखा प्यास गांव इनदिनों भक्तिमय व राममय बना हुआ है जहां राजन जी महाराज के मुखार विंंदु से आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का गुणगान चल रहा है

खड़ी बोली के साथ भोजपुरी व अवधी में उनके कंठ से निकलने वाले भजन के खनक लोगो को अपनी ओर खींच रहे है उनके श्रीमुख से निकले वाले एक एक शब्द श्रोताओं को अध्यात्म रूपी गंगा का पवित्र स्नान कराते है कथा की भाषा इतनी सरल है कि अनपढ़ श्रोता भी एक -एक शब्द को समझ और ग्रहण कर सकते है

दुष्ट रावण के आतंक व ऋषिमुनियों के पीड़ा से आहत सभी देवता घबड़ा गए थे। चहुओर हाहाकार व दुष्टों के गर्जना से आहत ऋषि मुनियो के आग्रह से हुआ श्री राम का जन्म ।
उक्त बातें श्री राम कथा के नौ दिवसीय कार्यक्रम के चौथे दिन राजन जी महाराज ने भक्तों को कथा सुनाते हुए। राम जन्म का वर्णन करते हुए कहा कि उस समय रावण रण के मद में मतवाला होकर वह अपनी जोड़ी का यौद्धा खोजता हुआ जगत भर में दौड़ता फिर रहा था । परंतु उसे ऐसा योद्धा कहीं नहीं मिला।

वरुण, कुबेर, अग्नि, काल,और यम , किन्नर सिद्ध मनुष्य देवता और नाग सभी के पीछे वह हठ पूर्वक पड़ गया । यहा तक कि ब्रह्मा की सृष्टि में शरीर धारी स्त्री ,पुरुष थे सभी रावण के अधीन हो गए ।सभी डर के मारे उसकी आज्ञा का पालन करते थे और नित्य आकर नम्रता पूर्वक उसके चरणों मे सिर नवाते थे । जिस जिस स्थान में वे गौ व ब्राह्मणों को पाते उसी नगर,गांव व पुरवो में आग लगा देते थे। सभी देवता भयभीत हो गए ।

जीना दुस्वार कर दिया था राक्षसों ने । तभी एक दिन आकाशबाड़ी हुई हे मुनि,सिद्ध और देवताओं के स्वामियों डरो मत तुम्हारे लिए ,धर्म की रक्षा के लिए मैं सूर्य वंश में मनुष्य का रूप धारण करूंगा । हे देवताओं तुम निर्भय हो जाओ मैं वचन सत्य करूंगा । आकाश बाड़ी के वचन को सत्य करने के लिए अवध पूरी में रघुकुल शिरोमणि दशरथ नाम के राजा हुए जिनका नाम वेदों में विख्यात है।धर्म धुरंदर,गुणो के भंडार, और शङ्ग धनुष धारण करने वाले भगवान की शक्ति थी । यही पैदा हुए मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम।

इस दौरान कथा आयोजक शंकर पाण्डेय, शम्भू पाण्डेय, अमन पाण्डेय, नीरज पाण्डेय, प्रवीण पाण्डेय, श्रीमति कैकयी,पूनम पाण्डेय, श्वेता पाण्डेय, अमीत पाण्डेय ,आकाश मोदनवाल, रोहित विश्वकर्मा, सोनू वर्मा ,मिंटू वर्मा,विनोद पांडेय ,सौरव पांडेय, मून्नू पांडेय ,आदि हजारों किं संख्या में श्रोता मौजूद रहे । संगीतमय रामकथा सुन श्रोता भक्ति रस में सराबोर हो गये ।

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