इंदौर टीआई सुसाइड केस में नया खुलासा

इंदौर TI सुसाइड केस में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। लेडी ASI पर TI हाकम सिंह पवार को ब्लैकमेल करने के आरोप लग रहे हैं, कहा जा रहा है कि इसी वजह से असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर ऑफिस परिसर में TI ने लेडी ASI को गोली मारी और फिर खुद सुसाइड कर लिया। दैनिक भास्कर की टीम लेडी ASI तक पहुंची और शूट एंड सुसाइड केस में उनका पक्ष जाना। ASI ने सभी आरोपों को गलत बताया। लेकिन, मंगेतर से ढाई लाख रुपए मांगने की बात को सही कहा । इसका कारण भी बताया।

TI हाकम सिंह से संबंधों को लेकर लेडी ASI ने क्या कहा...

2018 में मेरा ट्रांसफर धार से इंदौर एसपी ऑफिस हुआ था। यहां मुझे वेतन निर्धारण शाखा में तैनात किया गया था। इस विभाग का काम सैलरी फिक्सेशन करने का होता है। यहां सर (हाकम सिंह) की भी एसआर (सैलरी) आई थी। सैलरी कम आने पर सर मेरे पास आए। अफसर के कहने पर मैंने उनकी सैलरी का फिक्सेशन किया। इसके बाद सर मेरा मोबाइल नंबर लेकर गए। बस यहीं से उनसे पहचान हुई।

2019 में मेरी सगाई हो गई। मंगेतर खरगोन में रहते हैं। वे पेशे से फोटोग्राफर हैं। उन्होंने दहेज की मांग की और शादी से इंकार कर दिया। इसकी पूरी रिकार्डिंग मेरे पास थी। मंगेतर और उनकी बहन ने मेरे खिलाफ TI खरगोन को आवेदन दिया था। मुझे पता चला कि हाकम सिंह पवार TI हैं। उनसे मेरी पुरानी पहचान थी। मैंने उन्हें पूरी बात बताई और सारी रिकॉर्डिंग सुनाई।

उन्होंने मदद का भरोसा दिलाया। जिसके बाद इंदौर में जांच चलने से खरगोन पुलिस ने जांच नहीं की। इसी बीच सर का ट्रांसफर महेश्वर हो गया। उन्होंने कॉल करके मुझे बताया था। मैं धामनोद में रहती हूं। मैं भाई को लेकर महेश्वर गई। सर ने मुझे कहा था कि कोई काम हो तो बताना। सर से हमारे पारिवारिक संबंध हो गए।

TI सर ने गाड़ी बेचने की बात की थी

सर का ट्रांसफर राजगढ़ हो गया । वो जब भी इंदौर आते, तो मुझे कॉल करते थे। एक दिन उन्होंने मुझसे कहा, गाड़ी बेचनी है। इससे मेरा तीन बार एक्सीडेंट हो गया। मैंने कहा, मैं ले लेती हूं। उन्होंने 9 लाख कीमत बताई। मैंने 7 लाख कहा। आखिर में हमारा सौदा 8 लाख तय हुआ। मेरे पापा पटवारी थे। रोड एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गई थी। मेरी मां को उनकी पेंशन मिलती है। सातवें वेतनमान के लिए आवेदन किया था। पेंशन निर्धारण हुआ। जिसमें सात लाख रुपए मिले थे। इन्हीं रुपयों से गाड़ी खरीदने की बात कर रही थी। सर ने पांच लाख कैश मांगा। मैंने कहा, बाकी का पेमेंट गाड़ी ट्रांसफर होने के बाद करूंगी। इसके बाद TI सर ने सीमा जयसवाल से सारे डॉक्यूमेंट लेकर आरटीओ आफिस में मेरे भाई के नाम गाड़ी ट्रांसफर कराई। मुझे गाड़ी चलानी नहीं आती है, इसलिए भाई के नाम कराई थी।

मैं उन्हें पिता समान मानती थी

गाड़ी भाई के नाम ट्रांसफर होते ही मैंने सर को तीन लाख नकद दिए। उन्होंने कहा, दो साल बाद मेरा रिटायरमेंट है, नई गाड़ी लेना है। तब तक मुझे यह गाड़ी चलाने दो। मैंने खुशी-खुशी हां कर दी। मैं उनको पिता और बड़े भाई के समान मानती थी। उन्होंने मुझे काफी सपोर्ट किया। सर गाड़ी लेकर राजगढ़ चले गए। तीन-चार माह तक तो हमने सर के मान-सम्मान में गाड़ी वापस नहीं मांगी। एक मैंने उन्हें कॉल करके गाड़ी मांगी। उन्होंने कहा, अभी छुट्टी नहीं है। वो बार-बार टालते रहे। ऐसा करते हुए छह माह बीत गए। मेरे भाई और मैंने कहा गाड़ी दे दो या पैसे दे दो, ताकि हम आगे सोच सके। इस दौरान सर भोपाल में थे। मैं श्यामला हिल्स गई। यहां हमें लगा कि वो गाड़ी नहीं देना चाहते। हमें लगा कि अब हमें शिकायत करनी पड़ेगी। इसके बाद हमने उनके डीसीपी रियाज इकबाल सर को आवेदन दिया। डीसीपी सर ने TI सर गाड़ी देने के लिए कहा। TI सर ने हामी भर दी। उन्होंने 15 जून को इंदौर आने के लिए कहा, लेकिन वो नहीं आए।

22 जून को उनका कॉल आया। इंदौर आने की बात कही। दूसरे दिन 23 तारीख को मुझे ऑफिस बाहर बुलाया। हम आईसीएच में बैठकर चाय-नाश्ता और गाड़ी से रिलेटेड बातें की। भाई भी साथ था। सर ने भोपाल जाकर बयान देने से मना किया। इसके बाद हम लोग चले गए। फिर हम दूसरे दिन मिले। उन्होंने इस बार फिर कहा, मैं समझा रहा हूं कि तू बयान मत देना। मैंने कहा, आप गाड़ी नहीं दोगे तो बयान देना पड़ेगा। इसके बाद हम बाहर आ गए। सर गाड़ी में बैठ गए। पता नहीं सर को ऐसा क्या आवेश आया। वो गाड़ी से उतरे और मेरे पास आकर बोले, बयान मत देना। मैं इधर-उधर देख रही थी। मुझे पता ही नहीं चला कि सर ने कब शूट कर दिया।IMG_20220708_003655_579.jpg