भू माफियाओं से पिता की जमीन को बचाने के लिए दर दर भटक रही आदिवासी महिला

land-mafia-1473608423_835x547_1.jpgकागजी रिकार्ड में हेरफेर करके भू माफियाओ के बचाव में लगा मैहर राजस्व अमला,पटवारी प्रतिवेदन पर उठे सवाल,मामला आदिवासी महिला का महीनो से तहसीली के चक्कर काट रही महिला
मैहर में आदिवासियों की आराजी को बड़े पैमाने पर खुर्द बुर्द कर दिया गया है, इसमें मैहर राजस्व विभाग का अमला पूरी तरह संलिप्त है वही जांचकर्ता अधिकारी भी भू माफियाओं के इशारों में नाच रहे हैं, पूर्व दिनों आदिवासी महिला ने भदनपुर दक्षिण पट्टी की आराजी नंबर
958, 959/2,961,976,981,982,983 की रजिस्ट्री के बाद नामांतरण रोकने के लिए मैहर तहसीलदार के समक्ष आपत्ति प्रस्तुत की थी और दावा किया था कि यह आराजी उसके पिता लालमन कोल की है जो उन्हें सन 1972 के आवंटन में प्राप्त हुई, महिला के अनुसार बताई मौखिक जानकारी में अपत्ति में प्रमाण के तौर पर हस्तलिखित खसरे को भी संलग्न किया गया था महिला का कहना है कि वर्ष 1994 में उसके पिता की मृत्यु हो गई उसके बाद से ही भदनपुर दक्षिण पट्टी पटवारी की मिलीभगत से भू माफियाओं ने उसके पिता की आराजी को खुर्द बुर्द कर दिया और वर्ष 2004 में मृतक ने दूसरे आदिवासी के नाम रजिस्ट्री करवा दी खसरे में उल्लेखित आदेश क्रमांक के अनुसार जबकि आदिवासी महिला की माने तो खसरे में फर्जी आदेशों को 12कालम में चढ़ाया गया है,और अब वह आराजी मैहर के दीपक अग्रवाल के भाई दिलीप अग्रवाल को बेची जा रही है, जानकारी के बाद महिला द्वारा आपत्ति लगाई गई लेकिन आदिवासी महिला की आपत्ति को मैहर तहसीलदार ने मैहर के व्यवसाई दिलीप अग्रवाल का बचाव करते हुए खारिज कर दिया है, वहीं अब सवाल पटवारी प्रतिवेदन के ऊपर भी उठ रहा है जांच करने वाले अधिकारी सीधे तौर पर मामले की व्याख्या नहीं करते उलट पलट कर भू माफियाओं का बचाव करने में पूरी कोर कसर लगा देते हैं महिला ने कहा कि वर्तमान भदनपुर दक्षिण पट्टी पटवारी ने जो प्रतिवेदन मैहर तहसीलदार के सामने अपत्ति के संबंध में प्रस्तुत किया है उसमें यह स्पष्ट तौर पर बताया गया है वर्ष 2011 और 012 में यह आराजिया आदिवासी के नाम थी और फिर गैर आदिवासी के नाम हो गई खसरे के 12नंबर कॉलम में वर्ष 2004-2005 के नामांतरण आदेश का आदेश क्रमांक उल्लेख किया गया है लेकिन आदिवासी से गैर आदिवासी के नाम रजिस्ट्री का कोई उल्लेख नहीं हुआ और न ही उस समय हुए नामांतरण का उल्लेख किया गया! अब सवाल यह है कि लगातार जिला कलेक्टर से लेकर मैहर एसडीएम मैहर तहसीलदार के पास लोग शिकायत देकर भदनपुर दक्षिण पट्टी में शासकीय और आदिवासियों की भूमि को खुर्दबुर्द करने के आरोप लगा रहे हैं उसके बाद भी मैहर राजस्व के वरिष्ठ अधिकारी वर्तमान खसरे का हवाला देते हुए नामांतरण धड़ल्ले से कर रहे हैं वही गरीब आदिवासियों को कोर्ट के चक्कर लगाने के लिए और बड़ी कोर्ट का रास्ता बता दिया गया, ताकि गरीब आदिवासी महिला 15-20वर्ष तक अपनी पिता की आराजी को बचाने के लिए कोर्ट के चक्कर लगाती रहे|