शव वाहन की जगह मोटरसाइकिल में अंतिम विदाई

in #madhyapradesh2 years ago

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शहडोल। शहडोल मेडिकल कॉलेज से दिल दहला देने वाली तस्वीर सामने आई है।इस तस्वीर ने प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं की दावे की पोल खोल कर रख दी है।अनूपपुर जिले से अपनी मां का इलाज कराने आए बेटों को समुचित इलाज नहीं मिलने से मां की मौत हो गई। जिसके बाद शव वाहन भी नहीं मिला। पैसों के अभाव में मां का शव के लिए 100 रुपए में लकड़ी की पटिया खरीदकर और शव बाइक में रख 80 किलोमीटर का सफर तय कर अपने गृह ग्राम अनूपपुर जिले के गोडारू पहुंचे।80 किलो मीटर शहड़ोल से अनूपपुर जिले तक बाइक में शव लेकर जाने के दौरान इस नजारे को जिसने देखा उसके मुंह से यही आवाज निकली हाय राम….ये क्या हो रहा है।
जानकारी के अनुसार गोडारू गांव की रहने वाली महिला जयमंत्री यादव को सीने में तकलीफ होने के कारण बेटों ने उपचार के लिए जिला अस्पताल शहडोल में भर्ती कराया था। जहां हालत खराब होने के कारण मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। उपचार के दौरान देर रात उसकी मौत हो गई। मृतका के बेटे सुंदर यादव ने जिला अस्पताल की नर्सों पर लापरवाही से इलाज करने का आरोप लगाते हुए मौत के लिए मेडिकल अस्पताल प्रबंधन को जिम्मेवार ठहराया है।
महिला की मौत के बाद शव को घर ले जाने के लिए सरकारी वाहन नहीं मिला। प्राइवेट शव वाहन वाले 5 हजार रुपए किराया मांग रहे थे जिसे देने उनके पास रुपए नहीं थे। मजबूरी में बेटों ने सौ रुपए की एक लकड़ी की पटिया (फट्टा) खरीदकर किसी तरह से शव को बाइक पर बांधकर घर ले जाना पड़ा। इस दैरान जिस जिस सड़क और गली से शव गुजरा उसे देखकर लोगों की आंखों से आंसू छलक पड़े।
कहने को तो शहड़ोल संभाग का सबसे बड़ा सर्व सुविधायुक्त मेडिकल कालेज है जहां लोगों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। उपचार कराने आए मरीजों व परिजनों का कहना है कि यदि धरती में नरक देखना है तो मेडिकल अस्पताल आ जाओ। शहड़ोल संभाग के अलावा छत्तीसगढ़ से भी लोग यहां इलाज के लिए बड़ी संख्या में आते है।

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