मजिस्ट्रेट का अधिकार रखने वाले सदस्यो को पावती देने के लिए 3 घंटे तक थाना में बैठाए रखा


एक तरफ पुलिस अधीक्षक अखिल पटेल जिले में अपराध कम करने का पूरा लगाए रहते है जब से ये अनूपपुर जिले का चार्ज संभाले है उसके बाद गलत काम करने वाले लोगो और अपराधियों में हड़कंप की स्थिति बनी रहती हैं दूसरी तरफ जिले के थानों में पदस्थ पुलिस महकमा इनके किये कराए पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं अभी हाल में ही एक सहायक उप निरीक्षक द्वारा एक वकील को सार्वजनिक जगह खुलेआम धक्का मारने बेइज्जत करने के मामले में सस्पेंड किया गया है। लगातार ऐसी घटना आती ही रहती हैं। उसके बाद भी पुलिस महकमा में डर कही नजर नही आ रहा है जिला मुख्यालय में कोतवाली में एक नाबालिग वाले मामले पर प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट का अधिकार रखने वाले लोगो को कार्यवाही करने के आवेदन की पावती देने से 3 से 4 घंटे घुमाते रहे उन सदस्यो को 3 से 4 घंटे तक थाने में बैठाए जैसे वो लोग कोई अपराधी हो और रात 10 बजे के बाद आवेदन की पावती दी गयी। अगर एक मजिस्ट्रेट का अधिकार रखने वालों के साथ ऐसी घटना हो सकती है तो आम आदमी के साथ किस तरह का बर्ताव किया जाता होगा ये समझ से परे है सरकार पुलिस और आम लोगो की दूरियां खत्म करने की कोशिश कर रही है वही पुलिस का इस तरह का बर्ताव अशोभनीय है। क्या यही है देश भक्ति जन सेवा।

ये था मामला-

अनूपपुर में बाल कल्याण समिति के सदस्य ललित दुबे, विद्यानंद शुक्ला, सीमा यादव व मोहनलाल पटेल व चाइल्ड लाइन के साथ मिलकर सयुंक्त कार्यवाही करते हुए जिला मुख्यालय में जिला न्यायालय के पीछे लमता तालाब के पास स्थित एक मकान पर कार्यवाही करते हुए 4 नाबालिग बच्चों को बाल मजदूरी करवाते हुए मुक्त करवाया। बच्चों से बंद कमरे में लड्डू बनवाया जा रहा था चारो बच्चे और उनसे काम करवाने वाले लोग बिहार के है। देखने से बच्चो की स्थिति कष्टप्रद नजर आ रही थी बच्चों को अस्वच्छता पूर्ण माहौल में रखा गया था जिस कमरे में बच्चे काम कर रहे थे वहां पर्याप्त रोशनी व साफ हवा का अभाव नजर आया बाल समिति के सदस्यों ने लगभग 3 बजे कार्यवाही की और पुलिस को सूचित किया गया कोतवाली की दूरी 1.5 किलोमीटर होने के बाद पुलिस 1 घंटे बाद 1 पुलिस कर्मी मोटरसाइकिल से पहुँचा और बच्चों को बाल गृह ले जाने के लिए 1 घंटे बाद वाहन पहुँचा पुलिस के सही समय पर नही पहुचने पर अगर वहाँ पर आरोपियों की संख्या ज्यादा होती तो कोई भी बड़ी घटना बाल समिति के सदस्यों के साथ घट सकती थी। इसी मामले पूरा विवरण देने शाम 6.30 बजे बाल समिति के सदस्य कोतवाली पहुँचे थे मगर थाना प्रभारी ने सदस्यो को 4 घंटे कोतवाली में बैठाए रखा वुसके बाद पावती दी गयी। इस मामले की जानकारी लेने जब कुछ पत्रकार कोतवाली पहुँचे तो अजय टेकाम जो कोतवाली के प्रभार पर थे उन्होंने यह कह दिया कि मैं प्रभार पर नही हूँ प्रवीण साहू प्रभार पर है उनसे बात कर ले जब उनसे बात की गई तो उन्होंने यह कह दिया कि मैं प्रभार पर नही हूँ। इस तरह थाना प्रभारी गुमराह करना समझ से परे है।

इनका कहना है।

पुलिस थाना में केवल पावती देने के लिए बाल समिति के सदस्यो को 3 से 4 घंटे बैठाकर घुमाना पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा होता है।

ललित दुबे सदस्य बाल समिति अनूपपुर

आवाज नही आ रह है कार्यक्रम में हूँ बाद में बात करता हूँ।

अजय टेकाम प्रभारी कोतवाली अनूपपुर

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