अंतरराष्ट्रीय सम्मान की हकदार हैं हस्त शिल्पकला का नायाब नमूना-चन्देरी साड़ियां
अशोकनगर चंदेरी। पिछले माह समाचार पत्रों के माध्यम से उजागर होती यह जानकारी कि ग्वालियर एवं ओरछा को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन ( United Nations Educational Scientific and Cultural Organization) यानी यूनेस्को के हिस्टोरिकल एवं अर्बन डेवलपमेंट प्रोग्राम अंतर्गत चयनित किया गया है। यह जानकर लोगो को बेहद खुशी हुई कि उक्त ऐतिहासिक एवं पर्यटन स्थलों को अंतरराष्ट्रीय स्तरीय सम्मान प्राप्त हुआ जिसके वह सौ फीसदी अधिकारी थे।
इस स्तर पर चिंताजनक पहलू यह है कि जिस समय ग्वालियर और ओरछा यूनेस्को में अपना नाम अंकित कराने के लिए आगे बढ़ रहे थे, उसी समय हमारी भोली-भाली, सीधी-सादी, चंदा सी चन्देरी भी यूनेस्को के समक्ष *क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क अंतर्गत टेक्सटाइल (लोक एवं शिल्प कला)* श्रेणी में अपना नाम अंकित कराने हेतु दावेदारी प्रस्तुत करने की दिशा में आगे बढ़ रही थी।
यूनेस्को के समक्ष प्रस्तुतीकरण हेतु मई 2019 दिल्ली में आयोजित बैठक में स्थानीय नगरीय निकाय द्वारा टेक्सटाइल (लोक एवं शिल्प कला) श्रेणी में चन्देरी का नाम अंकित करने हेतु अपना पक्ष रखा यही नहीं आगे जनवरी 2020 में उक्त संदर्भित विषय में भोपाल में आयोजित बैठक में भी स्थानीय नगरीय निकाय द्वारा अपना पक्ष रखा गया था।
आगे मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड भोपाल द्वारा उक्त कार्य हेतु डाटा और जानकारियां एकत्रित करने हेतु धरातल नामक संस्था को नियुक्त किया, जिसका सहयोग स्थानीय नगरीय निकाय कर रही थी। धरातल नामक संस्था ने टेक्सटाइल श्रेणी में चन्देरी का मजबूत पक्ष रखने हेतु चंदेरी के हैण्डलूम पार्क में नगर के प्रबुद्ध नागरिकों के साथ संयुक्त बैठक कर कार्रवाई को आगे बढ़ाया।
अब प्रश्न यह उभरता है कि चंदेरी लोक एवं शिल्प कला श्रेणी में सौ फीसदी हकदार होते हुए भी कहां पिछड़ गई आज किस स्थिति में है विचारणीय है। जबकि जगजाहिर है कि चंदेरी हस्त शिल्पकला अनोखी विलक्षण प्रतिभा का धनी है जिसका मुकाबला भारत में किसी अन्य हस्तशिल्प से नहीं है।
क्या अभी भी चंदेरी की उम्मीदें जिंदा है ? क्या अभी भी चंदेरी टेक्सटाइल्स श्रेणी में अपना नाम दर्ज कराने की दौड़ में शामिल है ? यदि अभी भी दौड़ में शामिल है तो अच्छी बात है वरन् चंदेरी के लिए उक्त अंतरराष्ट्रीय सम्मान दिलाने के लिए क्या मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड भोपाल द्वारा पुनः प्रयास किए जाएंगे ? क्या हथकरघा के ताना-बाना में सतरंगी धागों से गुंथी रेशमी नगर चंदेरी को उक्त अंतरराष्ट्रीय दर्जा दिलाने के लिए स्थानीय नगरीय निकाय स्वमेव पहल करेगा ? यह वह चंद सवाल है जो बार-बार दिल के किसी कोने में उठते हैं और धीरे-धीरे स्वमेव शांत हो जाते हैं।
आशा-उम्मीद का दामन न कभी छोड़ा है और ना कभी छोड़ेंगे। इन्हीं आशा और उम्मीदों के सहारे, उक्त तथ्यों का उल्लेख करते हुए एक आवेदन पत्र आदरणीय श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया जी केंद्रीय नागर विमानन मंत्री भारत सरकार नई दिल्ली और एक आवेदन पत्र प्रबंध संचालक मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड भोपाल को प्रेषित कर ध्यान आकर्षित किया गया है।
शानदार खबर भाई मुझे भी चंदेरी घूमना है
आ जाइए भाई बहुत शानदार जगह है घूमने के लिए