जीवित रहते मधु ने जताई देहदान की इच्छा

in #madhu8 months ago

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  • जीवित रहते मधु ने जताई देहदान की इच्छा
  • 74 वर्षीय मधु की इच्छा अन्य लोगों के लिए बनी प्रेरणा, जल्द होंगे देहदान के दस्तावेज

मंडला. इस संसार में अनेक प्रकार के दान किये जाते है, और आपने कई प्रकार के दान के बारे में सुना भी होगा। जिसमें कोई धन दान देता है तो कोई अन्न दान करता है, तो कोई रक्तदान करता है, और यहां तक लोग शरीर के विभिन्न अंगों को भी दान करते है। इसके साथ ही कुछ लोग अपने शरीर को भी दान करते हैं। हम ऐसे ही एक 74 वर्षीय महिला दानवीर की बात आज कर रहे है, जिन्होंने अपना शरीर दान करने की इच्छा जाहिर की है। मंडला जिले के नैनपुर नगर निवासी मधु अरोरा ने मेडिकल कॉलेज में पढऩे वाले छात्रों के लिए देहदान करने की इच्छा जाहिर की है। इनकी इस पहल से जिले में अन्य लोगों के लिए प्रेरणा है।

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आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला के विकासखंड नैनपुर की 74 वर्षीय मधु अरोरा ने विगत दिवस देहदान की इच्छा जाहिर की है। महिला की इच्छा है कि उनकी मृत्यु के बाद उनके शरीर को मेडिकल कॉलेज के छात्रों को दिया जाए। जिससे मेडिकल के पढऩे वाले छात्रों को उनके शरीर से कुछ सीखने को मिल सके और वे छात्र एक अच्छे चिकित्सक बनकर लोगों की सेवा कर सके।

जानकारी अनुसार विकासखंड नैनपुर नगर की मधु अरोरा ने विगत 26 जनवरी के अवसर पर अपने शरीर को मेडिकल कॉलेज में देने की इच्छा जाहिर की है। मधु ने कहां कि मेडिकल छात्रों के हित में ये फैसला लिया है, मेरे दहदान से मेडिकल के छात्रों को फायदा होगा। मधु के दहदान करने की इच्छा को पूरा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

  • इससे बड़ा पुण्य कुछ नहीं :
    नैनपुर निवासी मधु अरोरा ने बताया कि करीब तीन वर्षो से सोच रखा था कि मरने के बाद उनका शरीर किसी के काम में आए। इतने लंबे अंतराल के बाद विगत दिवस मैने अपने शरीर को दाने करने इच्छा प्रकट की है। विगत 26 जनवरी को मैने मृत्यु के बाद अपने शरीर को मेडिकल कॉलेज में समर्पित करने की घोषण कर दी है। जिससे यहां आने वाले छात्र मेरे मृत शरीर से अपना ज्ञान प्राप्त कर सकें और दूसरों की जान बचा सकें। इससे बड़ा पुण्य क्या होगा। मधु ने बताया कि उनके पास ऐसा कुछ नहीं है, जो वे दान कर सके। उन्होंने कहां कि यह शरीर उनका है, इस पर मेरा अधिकार है, जिस कारण मैं अपने शरीर को मेडिकल कॉलेज में दान करूंगी। देहदान से बड़ा दान नहीं है, इससे बड़ा पुण्य कुछ नहीं है।

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  • मेरी थी इच्छा, तो ईश्वर ने दी प्रेरणा :
    मधु ने अपने देहदान करने की इच्छा को बताते हुए कहां कि मैं अकेली हूं, परिवार में अब कोई नहीं है। जिसके कारण में अब सतसंग, भजन में अपना समय गुजार रही हूं। उन्होंने कहां कि नर तन मरने के बाद किसी कोई काम नहीं है, यह जलकर खाक हो जाता है, लेकिन मरने के बाद भी यह शरीर किसी के काम आ सकता है। मेडिकल कॉलेज में पढऩे वाले छात्रों को मृत शरीर की जरूरत होती है। जिससे पढऩे वाले बच्चे मृत शरीर को बहुत कुछ सीखते है। इस संसार में एक से बढ़कर एक दानवीर है, मैं छोटा सा दान करना चाहती हूं। ईश्वर की प्रेरणा से मैंने अपने देह को दान की इच्छा जाहिर की है।

  • देश की सेवा करते यह थी इच्छा :
    मधु अरोरा ने बताया कि उनके परिवार में एक बेटी और पांच बेटे थे। जिसमें बेटी अभी है, लेकिन उनके पांचो बेटे इस दुनिया में नहीं है। इनके पति की भी मृत्यु करीब 40 वर्ष पहले हो चुकी है। पति की मृत्यु के बाद इन्होंने अपने बच्चों का पालन, पोषण कर पढ़ाया, लेकिन ईश्वर कुछ और ही चाहते थे। उन्होंने बताया कि मैं पंजाब की बेटी हू, पंजाब का खून है मुझमें। इसलिए मेरी इच्छा थी कि मेरे पांच बेटों में कम से कम दो बेटे फौज में जाकर देश के काम आते, देश की सेवा करते, लेकिन इनकी दिलीख्वाहिश पूरी नहीं हो सकी। उनके पांच बेटे इस दुनिया को छोड़कर मधु को अकेला छोड़ चले गए। उन्होंने कहां कि मेरी इच्छा पूरी नहीं हुई तो मैं अपना देह दान करके एक छोटा सा योगदान देने की इच्छा है।

  • बड़े बेटे से भी बताई थी देह दान की इच्छा :
    नवभारत की टीम ने जब मधु से बात की तो उन्होंने बताया कि उनके पांच बेटे थे, जो बीमारी के चलते एक के बाद एक इस दुनिया को छोड़कर चल बसे। पहला बेटा 30 साल पहले 24 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई। दूसरा बेटा 18 वर्ष की आयु में लीवर की बीमारी के चलते नहीं रहा। तीसरे बेटे को भी शुगर हो गया था, जिसके कारण वह चिकिनगुनिया की चपेट में आ गया। करीब पांच माह में मुध के तीन बेटे इस दुनिया को छोड़कर चले गए। इसके बाद चौथे बेटे को भी लीवर की बीमारी ने जकड़ ली। जिसे पीलिया हो गया और वह भी अपने परिवार को छोड़कर चला गया। इसके बाद अभी विगत वर्ष करीब आठ माह पहले ही मधु अरोरा का बड़ा बेटा भी लीवर की बीमारी के चलते चल बसा। इसी दौरान मधु ने अपने बड़े बेटे के सामने देह दान की इच्छा जाहिर थी। जिससे बड़ा बेटा भी मेरी इच्छा से काफी खुश था। लेकिन बड़ा बेटा भी अपनी मां की इच्छा होते ना देख सका और इस दुनिया से लीवर की बीमारी के चलते चल बसा।

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