रेलवे की जमीन पर चल रही अवैध हड्डारोड़ी, बदबू से शहरियो में बीमारी फैलने का खतरा

in #lumpi2 years ago

रेलवे की जमीन पर चल रही अवैध हड्डारोड़ी, बदबू से शहरियो में बीमारी फैलने का खतरा
-लूंपीस्किन बीमारी के कारण रोजाना दर्जनो की संख्या में मर रहे पशु, प्रशासन को सख्त एक्शन लेने की जरूरत-
-डीसी व एसएसपी से मिले शिष्टमंडल ने अधिकारियो को सुनाई परेशानी-

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फिरोजपुर
रेलवे की भूमि पर अवैध हड्डारोड़ी बिना किसी रोकटोक के चल रही है और सब कुछ जानते भी अधिकारी मूकदर्शक बन पूरे खेल को देख रहे है। हड्डारोड़ी से आने वाली बदबू के कारण शहर-छावनी के लोगो में बीमारिया फैलने का खतरा बना हुआ है। मवेशियो में फैली लूंपीस्किन बीमारी के कारण रोजाना दर्जनो की तदाद में पशु मर रहे है जोकि हड्डा रोड़ी में वाहनो में डालकर भेजे जाते है।
शहर की बस्ती निजामुद्दीन के पास रेलवे ट्रैक के नजदीक किसी समय बस्ती मातावार्ड हुआ करती थी और यहां पर साहसी समुदाय के लोग रहते थे। उस वक्त रेलवे द्वारा अपनी भूमि को खाली करवाया गया था। उसके बाद यहां फिर से कब्जा हो गया और कुछ लोगो ने हड्डारोड़ी का काम शुरू कर दिया। बेशक कुछ समय पहले एक महिला पुलिस अधिकारी ने इस पर रोक लगने में अहम प्रयास किए थे, लेकिन उनका तबादला होते साथ ही काम फिर से फलफूल रहा है। इस पर रोक लगाने में नगर कौंसिल से लेकर जिला प्रशासन व रेलवे नाकाम साबित हो रहा है।
शहरियो का शिष्टमंडल इस बारे में डिप्टी कमिश्नर अमृत सिंह, एडीसी सागर सेतिया, एसडीएम रणजीत सिंह के अलावा एसएसपी सुरिन्द्र लांबा से भी मिल चुका है। शिष्टमंडल ने अधिकारियो को बताया कि हड्डारोड़ी के कारण आने वाली बदबू से घरो में रहना तक मुश्किल हो रहा है और उनमें बीमारिया फैलने का अंदेशा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन द्वारा यहां से हड्डा रोड़ी उठावाई जाती है तो उन्हें बदबू से निजात मिल सकेगी।
क्या कहते है लोग
पार्षद ऋषि शर्मा, मुख्तयार भुल्लर, तारा भुल्लर, डिम्पी मुत्ती, किशोर ङ्क्षसह, डा. के.सी अरोड़ा, दीवान चंद शर्मा ने कहा कि हर समय उनके घरो व दुकानो में बदबू के कारण सांस लेना तक मुश्किल हुआ पड़ा है। उन्होंने कहा कि जब तेज हवा चलती है तो हवा से बदबू घरो के कमरो तक पहुंच जाती है और पानी पीने से लेकर भोजन तक करना मुश्किल हो जाता है।
हड््डारोड़ी पर काम करने वाले विशाल नामक एक युवक ने बताया कि जब पशुओ में बीमारी फैली थी तब रोज के 40 से 45 मृत पशु आते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह बीमारी कम हो रही है तो अब यहां पर मात्र 4-5 मृत पशु ही आते है। उनके द्वारा शुरू से ही पशुओ की खाल उतारकर बेचने का काम किया जा रहा है। पशुओ की चमड़ी उतारने के बाद जब उनकी हड्डिया सूख जाती है तो उन्हें आगे बेचा जाता है।
गवाल वंश के प्रधान बेली राम ने बताया कि लूंपीस्किन बीमारी से पहले मरी हुई गाय व भैंस करीब 1500 से दो हजार में बिक जाती थी, लेकिन जब से बीमारी शुरू हुई है, तब से कोई भी व्यक्ति मरी गाय या भैंस नहीं खरीद रहा है। उन्होंने कहा कि कैंट गवाल मंडी में करीब 38 गायो की लूंपीस्किन के कारण मौत हो चुकी है्र
क्या कहते है अधिकारी
उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगवाल ने कहा कि अगर किसी ने रेलवे की भूमि पर कब्जा कर रखा है तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। आरपीएफ व पुलिस की सहायता से उस जगह को खाली करवाया जाएगा।
डिप्टी कमिश्रर अमृत सिंह ने कहा कि उनके द्वारा इस पर सख्म कार्यवाई अमल में लाई जाएगी। जनता को किसी भी किस्म की दिक्कत ना आए, प्रशासन इसके लिए पूरे प्रयास करेगा।
उप-मंडल अधिकारी रणजीत सिंह ने कहा कि लोगो के शिष्टमंडल ने उन्हें पत्र लिखकर दिया है। उनके द्वारा जल्द ही एक नोटिस हड्डारोड़ी चलाने वालो को दिया जाएगा और आगे से यहां पर ऐसा काम ना करने की चेतावनी दी जाएगी।

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