मनगढ़ंत इंटरव्यू लिखने वाले पत्रकारों की सजा उच्च न्यायलय ने बरकरार रखी

in #lucknow2 years ago

FB_IMG_1660310376414.jpgमनगढ़ंत इंटरव्यू लिखने वाले पत्रकारों की सजा बरकरार*

- लोअर कोर्ट ने रिपोर्टर, संपादक, मुद्रक-प्रकाशक सहित 5 को ठहराया था दोषी

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मनगढ़ंत इंटरव्यू छापने के मामले में दोषी पत्रकारों की सजा को बरकरार रखा है। मामला 1994 का है। मुजफ्फरनगर के तत्कालीन जिलाधिकारी अनंत कुमार सिंह का मनगढ़ंत इंटरव्यू छापने वाले रिपोर्टर रमन किरपाल, सम्पादक ए के भट्टाचार्या, मुद्रक एवं प्रकाशक संजीव कंवर की रिवीजन याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। निचली अदालत से दी गयी कारावास एवं जुर्माने की सजा के खिलाफ 2012 में हाईकोर्ट में रिवीजन याचिका दाखिल की गयी थी। दोषियों की ओर से पूर्व जिलाधिकारी अनंत कुमार सिंह से बिना शर्त माफी भी मांगी गयी है।

सुनवाई के उपरांत हाईकोर्ट ने जेल की सजा के स्थान पर एक साल तक अच्छे आचरण एवं इस प्रकार का कोई अपराध न करने तथा निचली अदालत में 50 हजार रुपये के बॉन्ड भरने पर उन्हें परिवीक्षा पर छोड़ने का आदेश दिया है। इसमें सजा प्राप्त रिपोर्टर रमन किरपाल को 1 लाख रुपये, संपादक ए के भट्टाचार्य और प्रकाशक एवं मुद्रक संजीव कंवर को पचास-पचास हजार रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में अनंत कुमार सिंह को भुगतान करने का भी निर्देश दिया गया है।

अक्टूबर 1994 में अनंत कुमार सिंह का एक साक्षात्कार अंग्रेजी दैनिक दि पॉयनीयर के दिल्ली एवं लखनऊ तथा दैनिक स्वतंत्र भारत के लखनऊ संस्करण में प्रकाशित हुआ था। ''निर्जन स्थान में कोई भी महिला के साथ बलात्कार करेगा - डीएम मुजफ्फरनगर'' शीर्षक से प्रकाशित हुए इस साक्षात्कार से खासा हंगामा हुआ था। प्रमुख राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, एवं बुद्धिजीवियों द्वारा तत्कालीन जिलाधिकारी अनंत सिंह की निंदा भी की गयी थी। हालाँकि बाद में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया 1996 में इस मनगढ़ंत साक्षात्कार को प्रकाशित करने के लिये समाचार पत्रों की निंदा कर चुका है।

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