में अब उस राह पर चलने लगा हूं
में अब उस राह पर चलने लगा हूं,जिस पर सब चलने के आदी है, चुपचाप हर स्थिति को,हर बात को स्वीकार करते जाना पर मेरे अंदर कोई और आदमी है जो विरोध करता है जिसकी अपनी मांगें है जो मुक्त होना चाहता है इस बंधन से, खैर!... इसके चाहने से क्या होने वाला है....!
Nice story