राजीव गांधी के साथ NSA अजीत डोभाल की ये तस्वीर दशकों बाद क्यों है चर्चा में ?

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नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (ajit doval) के नाम वीरता के कई रेकॉर्ड दर्ज हैं। स्वर्ण मंदिर के अंदर ऑपरेशन के दौरान डोभाल की सबसे अहम भूमिका रही ये सब बातें आप खूब जानते होंगे। इस वक्त उनकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है। वायरल से ज्यादा इस तस्वीर पर लोग तरह-तरह से अपनी भावनाएं भी व्यक्त कर रहे हैं। ये तस्वीर है 1988 की। काफी पुरानी इस तस्वीर में वो तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ नजर आ रहे हैं।

IB में रहते अजीत डोभाल ने कायम की मिसालें
इस तस्वीर के बारे में जितने मुंह उतनी बातें हैं। अजीत डोभाल उस वक्त इंटेलीजेंस ब्यूरो में ऑपरेशनल डायरेक्टर के पद पर थे। एम के नारायणन आईबी में डायरेक्टर थे। 1968 में, अजीत डोभाल ने भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए, इसके बाद पंजाब और मिजोरम में उग्रवादी विरोधी अभियानों में वह सक्रिय रूप से शामिल रहे, जिसके कुछ समय पश्चात् ही उन्हें भारत का जेम्स बॉन्ड कहा जाने लगा था। देश का मसला हो या विदेश का अजीत डोभाल हर जगह सक्रिय रहते हैं। दिल्ली दंगों से लगाकर चीन से सीमा विवाद तक ये अधिकारी हर जगह अपनी छाप छोड़ता है।

अच्छे और तेज अधिकारियों की सभी को जरूरत
अजीत डोभाल को लेकर कहा जाता है कि पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनके रिश्ते मधुर हैं। लेकिन ये तस्वीर बताती है कि ये जिस वक्त देश में कांग्रेस का शासन था उस वक्त भी डोभाल इतने ही सक्रिय थे और उनके रिश्ते सभी से बेहतर थे। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान ऐसे बड़े-बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया था, जो बिना राजनीतिक हस्तक्षेप के मुमकिन नहीं थे। ऐसे ऑपरेशन के लिए इस लेवल के बड़े अधिकारी का सीधे संपर्क पीएम और गृह मंत्री के साथ होता है। हम आपको कुछ किस्से यहां पर याद दिलाते हैं।

मिजोरम में उग्रवाद को शांत किया
अजीत डोभाल की पोस्टिंग सबसे पहले केरल में हुई। वहां भी उन्होंने अपने कामों से सबको प्रभावित किया। इस समय वह पंजाब और मिजोरम में हुये उग्रवाद विरोधी आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे। मिजोरम राज्य में इन्होंने जीत जी मिजो नेशनल फ्रंट को शक्तिहीन कर दिया, जिससे वहां पर शांति संभव हो सकी। वर्ष 1999 में कंधार हाईजेकिंग में वह तीन भारतीय अधिकारियों में शामिल थे, जिन्होंने भारत की तरफ से बात की थी। इसमें भारत को तीन आतंकवादियों को छोड़ना पड़ा था, इन्हें 1971 से 1999 तक हुई सभी 15 हाईजेकिंग में शामिल होने का अनुभव प्राप्त है।

ऑपरेशन ब्लैक थंडर को अंजाम
अजीत डोभाल ने एक दशक तक आईबी के संचालन विंग का नेतृत्व किया है, इसके अतिरिक्त वह मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) और ज्वाइन टास्क फोर्स ऑन इंटेलिजेंसी के संस्थापक अध्यक्ष थे। इन्हें भारत के तीसरे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम. के. नारायणन के द्वारा आतंक निरोधी कार्यो के लिए ट्रेनिंग दी गयी है। बताया जाता है कि ये तस्वीर उसी वक्त की है, जब ऑपरेशन ब्लैक थंडर को अंजाम दिये जाने की प्लानिंग चल रही थी। साल 1988 में ऑपरेशन ब्लैक थंडर के पहले इन्होने स्वर्ण मंदिर में प्रवेश कर महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त की थी।

आतंकियों के सामने ही उनको किया परास्त
बात 1988 की है। इस ऑपरेशन को ब्लैक थंडर नाम से जाना जाता है। जब कुछ आतंकियों ने अमृतसर पर कब्जा कर लिया था तब अजीत डोभाल एक रिक्शा चालक बनकर अमृतसर में घुसे और जब आतंकवादी को इन पर शक हुआ तो उन्होंने उन्हें पकड़ लिया। लेकिन दिमाग से चतुर अजीत डोभाल ने उन आतंकवादी को भी अपने झांसे में कर लिया और बोले कि वह पाकिस्तान के खुफिया एजेंसी के लिए कार्य करते है, उन्होंने ऐसा इसलिए कहा ताकि सभी आतंकवादी उनकी बात माने, अब अजीत डोभाल ने उन आतंकवादियों कि जानकारी ब्लैक कमांडों को दी। यह अजीत डोभाल कि ही सूझबूझ का कमाल था कि हमारे ब्लैक कमांडो ने उन आतंकवादी को मार गिराया।

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