Delhi Public Ttransport : अगले साल तक सड़कों पर दौड़ने लगेंगी 1800 ई-बसें, बढ़ेगा डीटीसी का बेड़ा
डीटीसी के बेड़े में 1500 और नई लो फ्लोर एसी इलेक्ट्रिक बसें की जाएंगी शामिल।
दिल्लीवासियों को अगले साल से बसों की कमी से नहीं जूझना पड़ेगा। यात्रियों की सुविधा के लिए अगले साल तक दिल्ली के परिवहन बेड़े में 1800 ई-बसें शामिल की जाएंगी। इससे सार्वजनिक परिवहन को नई रफ्तार मिलेगी। आधुनिक सुविधाओं से युक्त 12 मीटर लंबी, लो फ्लोर एसी बसों के संचालन और रखरखाव की जिम्मेवारी टाटा मोटर्स को सौंपी गई है।
दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के बेड़े में करीब 11 साल बाद 150 ई-बसें शामिल की गईं। इसके बाद चरणों में 1650 ई-बसें शामिल करने की तैयारी है। विस्तार के लिहाज से साल के अंत तक 1500 और नई ई बसों के भी पहुंचने की शुरुआत होगी। यह पहला ऐसा मौका है जब डीटीसी के परिवहन बेड़े में इतनी बड़ी संख्या में बसें शामिल की जा रही हैं।
कुछ महीने पहले कनवर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (सीईएसएल) ने 1500 बसों के लिए टेंडर निकाला था। इसे हासिल करने के टाटा मोटर्स को बसों की आपूर्ति, रखरखाव और परिचालन का जिम्मा सौंप दिया गया। 12 मीटर लंबी लो फ्लोर एसी इलेक्ट्रिक बसों में यात्रियों के लिए मोबाइल चार्जिंग, महिलाओं के लिए पिंक सीट, पैनिक बटन, सीसीटीवी कैमरे सहित कई और सुविधाएं भी होंगी। इन बसों के संचालन और रखरखाव का जिम्मा भी 12 वर्षों के लिए कंपनी के पास होगा।
अगले हफ्ते 75 और ई-बसें उतारने की तैयारी
दिल्ली परिवहन निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अगले साल नवंबर तक 1500 नई बसें सड़कों पर यात्रियों को सेवाएं देने लगेंगी। 150 ई- बसों के बाद 75-75 बसों के उतारने की तैयारी है। अगले 7-10 दिन में 75 ई बसें सड़कों पर उतार दी जाएंगी। नई ई बसों के संचालन के साथ साथ 12 साल के रखरखाव का जिम्मा भी टाटा मोटर्स के पास होगा। शुरुआत में टाटा और जेबीएम की ई बसें सड़कों पर ट्रायल के तौर उतारी गई थीं। टाटा मोटर्स को टेंडर जारी होने के बाद दिल्ली में 1500 ई-बसें शामिल करने की इस साल शुरुआत कर दी जाएगी। दिल्ली में डबल डेकर बसों का परिचालन नहीं किया जाएगा।
जीसीसी मॉडल पर होंगी संचालित
डीटीसी में ग्रॉस कॉस्ट कांट्रैक्ट (जीसीसी) मॉडल के तहत बसें चलाईं जाएंगी। इसके तहत रखरखाव और परिचालन की जिम्मेवारी कंपनी की होगी। इसके लिए प्रति किलोमीटर के मुताबिक कंपनी को किराये का भुगतान किया जाएगा। फिलहाल ई-बसों में डीटीसी के कंडक्टर हैं जबकि कंपनी चालकों के हाथों में बसों की कमान है। आगे भी इसी मॉडल पर डीटीसी में बसें संचालित करने की दिशा में डीटीसी अग्रसर है। इसे निजीकरण की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है।
Please follow me and like my post,,🙏🙏🙏🙏