अमरपुर कांड में शहर कोतवाल और चौकी इंचार्ज हुए निलंबित
अमरपुर कांड में शहर कोतवाल और चौकी इंचार्ज हुए निलंबित
सड़क जाम करने के मामले में पुलिस ने 5 नामजद और करीब 150 अज्ञात के खिलाफ किया मामला दर्ज
देर रात डीआईजी और आईजी ने पीड़ित के घर और घटनास्थल का किया था निरीक्षण
ललितपुर। अमरपुर में अवैध कब्जा हटाने को लेकर पूर्व प्रधान द्वारा किए गए आत्मदाह के बाद प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए थे हालांकि इस घटना में पूर्व प्रधान की इलाज के दौरान झांसी में मौत हो गई थी और ग्रामीणों में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ भड़के आक्रोश में ग्रामीणों ने हाइवे जाम कर करीब 2 घंटे तक प्रदर्शन किया था कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने हालात पर काबू पा कर जाम खुलवाया था। इस मामले में आईजी कानपुर जोन डीआईजी झांसी मंडल ने गांव का दौरा किया और प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए सदर कोतवाल मनोज मिश्रा एवं चौकी इंचार्ज अजय कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इस मामले की आग शासन स्तर तक पहुंची है और हो सकता है कि शासन स्तर से भी जनपद स्तरीय अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही अमल में लाई जाए।
सदर कोतवाल और चौकी इंचार्ज पर गिरी गाज:- पूर्व प्रधान की मौत के संबंध में डीआईजी और आईजी ने घटनास्थल का निरीक्षण कर सदर कोतवाल मनोज मिश्रा और चौकी इंचार्ज अजय कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के आदेश दिए। जबकि इस मामले में कई अन्य अधिकारी दोषी हो सकते हैं, यहां तक कि पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी भी लापरवाही की पुष्टि होती है। क्योंकि यदि मामला बड़ा था तो अधिकारियों को अपनी नजरों के सामने यह मामला सुलझाना था मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया।
पुलिस ने हाइबे जाम करने पर दर्ज किया मुक़्क़दमा:- पुलिस ने नेशनल हाईवे जाम करने के परिपेक्ष में उपनिरीक्षक हरीनाथ सिंह चौकी प्रभारी अमरपुर मंडी द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर कल्याण सिंह उर्फ कल्लू पुत्र बाबूलाल, कमल सिंह यादव पुत्र तिलकराम, गोविंद दास पुत्र प्रीतम, सुखपाल पुत्र घनश्याम, सुख साहब यादव पुत्र प्रीतम और गजराज यादव पुत्र रामदास सहित करीब 150 अज्ञात समस्त निवासी गण ग्राम अमरपुर के खिलाफ 147 148 149 283 341 धाराओं में मामला पंजीकृत किया है।
यह था मामला:- प्राप्त जानकारी के अनुसार गत करीब 3 दिन पूर्व सदर कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत अमरपुर गल्ला मंडी के सामने भारत एक्सप्लोसिप के अधिकारियों की शिकायत पर अबैध कब्जाधारी पूर्व प्रधान अमरपुर भैय्यन यादव का ढाबा हटाने सदर एसडीएम क्षेत्राधिकारी सदर फूलचंद राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंची थी जहां पूर्व प्रधान और अधिकारियों के बीच काफी खींचतान हुई अधिकारी वहां से ढाबे को हटाना चाहते थे और पूर्व प्रधान ढाबा हटाने को तैयार नहीं था। जिसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने धावा हटाना शुरू तो वो कार्यवाही से आक्रोशित पूर्व प्रधान ने अपने ही मोटरसाइकिल से पेट्रोल निकाल कर अपने ऊपर ले लिया और आग लगा ली। उक्त घटना को देखकर अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए और अबे करवाना हटाने की कार्यवाही को स्थगित करते हुए तत्काल गंभीर रूप से झुलसे बैंगन यादव को जिला चिकित्सालय भेजा गया था जहां से झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया था और वहां पर इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी इस घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने हाईवे को दोनों तरफ से जाम कर दिया था। काफी मशक्कत के बाद अपर पुलिस अधीक्षक ने पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ हालात पर काबू पाया था और 2 घंटे मैं हाईवे का जाम खुलवा पाया था। ग्राम प्रधान की मौत के बाद पुलिस कस्टडी में उसका पोस्टमार्टम कराया गया और पुलिस कस्टडी में ही उसका अंतिम संस्कार कराया गया था। उक्त घटना के समय सदर एसडीएम सीओ सदर के साथ नायब तहसीलदार और अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे। लेकिन जनपद के आला अधिकारियों ने घटना के बाद भी नहीं सुध नहीं ली थी।
यह हुई थी कार्यावाही:- उक्त घटना के पश्चात पूर्व प्रधान की मौत के बाद सदर कोतवाली पुलिस ने मृतक के परिजनों की तहरीर के आधार पर सुनील जैन एवं बी सी उपाध्याय तथा चार से पांच अज्ञात लोगों के खिलाफ 147 148 149 504 302 धाराओं में मामला पंजीकृत कर कार्रवाई की थी, जबकि डीएम आलोक सिंह ने इस घटना को आत्महत्या करार दिया था।
अधिकारियों में नहीं दिखा तालमेल:- इस मामले को लेकर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों में तालमेल नजर नहीं आया । क्योंकि जिलाधिकारी ने एक बयान जारी कर इसे आत्महत्या करार दिया था तो पुलिस ने इसे हत्या मानकर मामला दर्ज किया था। इससे साफ जाहिर होता है कि पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों में कोई तालमेल ही नहीं है कोई मौके की नजाकत देखकर कुछ कहता है और कोई मौके की नजाकत देखकर कुछ कहता है।
आर्थिक मदद के नाम पर हो सकता है राजीनामा:- इस मामले में जिला अधिकारी ने कम्पनी प्रतिनिधियों द्वारा आर्थिक मदद करने की बात भी कबूली है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि कंपनी के अधिकारियों के साथ अज्ञात के खिलाफ जो हत्या का मामला कोतवाली पुलिस ने पंजीकृत किया था उसमें भी राजीनामा हो सकता है।
इस मामले की निष्पक्ष जांच के बाद दोषियों के खिलाफ होनी चाहिए कार्यावाही:- मामला कुछ भी हो लेकिन इस मामले की उच्चस्तरीय जांच के बाद दोषियों के खिलाफ समुचित कार्यवाही की जानी चाहिए। क्योंकि यदि इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्यवाही होती तो यह एक नजीर भी बनती, हालांकि पीड़ित पक्ष को शासन प्रशासन द्वारा कुछ आर्थिक मदद दी जानी चाहिए थी जो कंपनी के अधिकारियों द्वारा दी गई। इस मामले में पुलिस और प्रशासनिक एवं पीड़ित पक्ष के खिलाफ जांच कराई जानी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए थी लेकिन शायद अब यह कार्रवाई थम जाएगी।