हरितालिका तीज पर भगवान शिव व माता पार्वती का किया पूजन
ललितपुर 7 सितंबर:(डेस्क)ललितपुर में शुक्रवार को हरितालिका तीज के अवसर पर महिलाओं ने भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की। इस दिन को विशेष रूप से महिलाएं अपने परिवार की खुशहाली और संपन्नता की कामना के लिए मनाती हैं। हरितालिका तीज का पर्व भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जहां महिलाएं व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।
हरितालिका तीज का महत्व
हरितालिका तीज का पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। यह पर्व श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं विशेष रूप से व्रत रखती हैं और भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को अपना साथी चुना था, इसलिए इसे विशेष महत्व दिया जाता है।
पूजा की विधि
इस दिन महिलाएं सुबह से ही तैयार होकर पूजा की तैयारी करती हैं। वे नए वस्त्र पहनती हैं और अपने घरों में स्वच्छता का ध्यान रखती हैं। पूजा के लिए विशेष रूप से फल, मिठाई, और अन्य पूजा सामग्री एकत्र की जाती है। महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों को सजाकर उनकी पूजा करती हैं और उनसे अपने परिवार के लिए सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
सामुदायिक उत्सव
ललितपुर में हरितालिका तीज का पर्व सामुदायिक उत्सव का रूप ले लेता है। महिलाएं एकत्र होकर पूजा करती हैं और एक-दूसरे के साथ मिलकर इस पर्व को मनाती हैं। इस दिन गीत-संगीत का आयोजन भी होता है, जहां महिलाएं पारंपरिक गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सामाजिक एकता और भाईचारे को भी बढ़ावा देता है।
परिवार की संपन्नता की कामना
हरितालिका तीज के अवसर पर महिलाएं अपने परिवार की समृद्धि और खुशहाली की कामना करती हैं। वे प्रार्थना करती हैं कि उनके पति और परिवार के सदस्य स्वस्थ रहें और जीवन में खुशियों की कमी न हो। इस दिन का व्रत रखने से महिलाएं अपने परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को और भी बेहतर तरीके से निभाने का संकल्प लेती हैं।
निष्कर्ष
हरितालिका तीज का पर्व महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह परिवार और समाज के बीच एकता और प्रेम को भी दर्शाता है। ललितपुर में महिलाओं ने इस पर्व को धूमधाम से मनाकर अपनी आस्था और परंपराओं को जीवित रखा है। उम्मीद है कि इस तरह के पर्व आगे भी मनाए जाते रहेंगे और समाज में एकता और प्रेम का संदेश फैलाते रहेंगे।