लाखों किये खर्च, फिर भी राष्ट्रीय मानव कहलाने वाले बैगा प्यासे

in #lakhs3 months ago

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  • लाखों किये खर्च, फिर भी राष्ट्रीय मानव कहलाने वाले बैगा प्यासे
  • लाखों किये खर्च, फिर भी राष्ट्रीय मानव प्यासा
  • मजबूरी में पी रहे झिरिया, तालाब का पानी
  • नलजल योजना होने के बाद भी नहीं मिल रहा पेयजल

मंडला. आजादी के वर्षो बाद भी जिले के ग्रामीण, वनांचल क्षेत्र के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। लाखों की जनसंख्या वाले जिले में आजादी के बाद भी जिले का विकास तो हुआ है लेकिन ग्रामीण अंचल के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। जिले के वनांचल और ग्रामीण क्षेत्र में आज भी आवागमन, बिजली, पेयजल एवं संचार सुविधा सहित अनेक समस्याएं बनी हुई है। खासकर वनांचल क्षेत्रों में विकास नहीं हो पाया है। जिसके कारण ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे है। वनांचल क्षेत्रों में योजना का क्रियान्वयन सिर्फ कागजों में ही हो रहा है। आजादी के सही मायने तभी पूरे होंगे, जब प्रत्येक नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध होगी।

जानकारी अनुसार जिले में विकास के दावों की पोल जिले के कई पिछड़े और वनांचल क्षेत्रों की बदहाल स्थिति खोल रही है। आलम यह है कि आजादी के वर्षो बीत जाने के बाद भी विकासखंड मवई के अनेक ग्रामों में आज भी मूलभूत सुविधाओं का आभाव है। विकासखंड मवई मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर ग्राम पंचायत अमवार के पोषक ग्राम सागोन छापर बसा हुआ है। इस पोषक ग्राम में करीब 25 परिवार निवास करते है, जो बैगा जनजाति के है। 25 परिवार में करीब 300 की जनसंख्या इस पोषक ग्राम की है, जो आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। इन समस्याओं में सबसे प्रमुख पेयजल की समस्या है, जिससे यहां के वंशिदे आज भी जूझ रहे है।

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गर्मी अपने चरम पर है, मानसून सक्रिय होने में अभी तीन चार दिन शेष है, जिसके बाद गर्मी से राहत मिलना शुरू होगी, लेकिन पोषक ग्राम सागोन छापर की समस्या आने वाला मानसून भी नहीं कर पाएगा। यहां समस्या पेयजल की है, जिससे यहां के ग्रामीण वर्षो से जूझ रहे है। ग्राम में पेयजल के लिए घर-घर नल कनेक्शन है, गांव में एक हैंड पंप भी है, लेकिन ये हवा उगल रहे है। नलजल योजना ठप्प पड़ी है। हैंडपंप भी विगत एक पखवाड़े बंद पड़ा है। लेकिन जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है। वहीं बैगा जनजाति के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, लेकिन इन योजनाओं का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। जिससे ये बैगा समाज के लोग सरकारी योजनाओं से भी लाभांवित नहीं हो पा रहे है।

  • एक वर्ष पहले शुरू हुई थी नलजल योजना, अब बंद :
    बताया गया कि ग्राम पंचायत अमवार में पोषक ग्राम सागोन छापर बसा हुआ है। यहां बैगा जनजाति के लोग निवास करते है। जिनकी जनसंख्या करीब 300 के आसपास है। सागोन छापर में विगत एक वर्ष पहले नलजल योजना शुरू की गई थी। जिसके लिए इस पोषक ग्राम में हर घर नल कनेक्शन लगाया गया, पानी के लिए बोर किया गया। हर घर में पानी भी पहुंचा, लेकिन बमुश्किल से इस नलजल योजना से पोषक ग्राम सागोन छापर में करीब एक सप्ताह ही पानी मिल पाया, जिसके बाद नलजल योजना बंद हो गई। नलजल संचालन में खराबी आने के कारण इसका सुधार कार्य नहीं कराया गया। जिसके कारण यह नलजल योजना विगत एक वर्ष से बंद पड़ी हुई है।

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  • झिरिया का पानी पीने मजबूर :
    बताया गया कि सागोर छापर में विगत एक वर्ष पहले नलजल योजना शुरू की गई थी, लेकिन यह योजना कुछ दिन ही साथ दे पाई और बंद हो गई। इसके बाद ग्राम के बैगा समुदाय शुद्ध पेयजल के लिए हैंडपंप पर निर्भर हो गए, लेकिन यह हैंडपंप भी आए दिन खराब हो जाता है और इसका सुधार ना होने कारण यहां के बैगा सामुदाय को परेशानी का सामना करना पड़ता है। यहां के ग्रामीणों ने बताया कि विगत 15 दिन से सागोन छापर में लगा हैंडपंप खराब है। इस हैंडपंप का उपयोग गांव के लोग पीने के पानी में करते थे, जो अब बंद है। जिसके कारण गांव के बैगा परिवार तालाब किनारे बने झरिया का गंदा पानी पीने को मजबूर है। इस संबंध में गांव के ग्रामीण ने बताया कि हमारे द्वारा पीएचई विभाग को नल बंद होने की सूचना दी जा चुकी है, बावजूद इसके सुधार कार्य नहीं कराया जा रहा है। ग्रामीणों ने शासन, प्रशासन से मांग की है कि पोषक ग्राम के बैगा जनजाति के लोगों की परेशानी देखते हुए यहां पेयजल की पुख्ता इंतजाम किये जाए। जिससे आने वाली बारिश में शुद्ध पेयजल मिल सके।

  • शौचालय भी पड़े बेकार :
    बताया गया कि यहां वर्षो से पेयजल व निस्तारी पानी के लिए लोगों को जद्दोजहद करनी पड़ रही है। ऐसी स्थिति में शासन ने घर-घर नल और घर-घर शौचालय बनवा दिए है, लेकिन इसके उपयोग के लिए पानी की समस्या सबसे बड़ी है। पोषक ग्राम सागोन छापर में पानी की पर्याप्त व्यवस्था ना होने के कारण यहां बने कई शौचालय शो पीस बन गए है। स्वयं के लिए पेयजल के लिए यहां के वंशिदों को मशक्कत करनी पड़ रही है, ऐसी स्थिति में यहां बने शौचालय बेकार साबित हो रहे है।

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  • अपनी पहचान के लिए जद्दोजहद :
    जिले बैगा परिवार राष्ट्रीय मानव की पहचान रखता है। जिनका रहन सहन वेशभूषा, पहनावा एवं खान-पान एक अलग ही पहचान बनाए हुए है। शासन द्वारा इनके विकास के लिए हर मुमकिन प्रयास कर रही है, बैगा जनजाति की पहचान, संस्कृति और उनकी सभ्यता से आमजन को रूबरू कराने आयोजन भी कराए जाते है। जिले के बैगा समुदाय के अस्तित्व को बरकरार रखने बैगा समुदाय समेत शासन, प्रशासन कवायद कर रहा है। जिससे जिले की बैगा जाति की पहचान और सभ्यता बनी रहे, बावजूद इसके आज भी जिले के ऐसे कई बैगा परिवार अपने लिए जद्दोजहद कर रहे है। अपनी पहचान बनाए रखने के लिए इन्हें सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की जरूरत है। जिससे इनका वर्चस्व बना रहे।

  • इनका कहना है

हमने हैंडपंप बंद होने की सूचना संबंधित विभाग को दे दी गई है, लेकिन दिनांक तक सुधार कार्य नहीं कराया गया है। जिसके कारण हम ग्रामीणों को तालाब किनारे झिरिया का पानी पीने मजबूर है, इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

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झरियारो बाई

शिकायत करने के बाद भी हमारे ग्राम में कोई भी अधिकारी और जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं देते हैं, जिस कारण से हम आज भी दूषित पानी पीने को मजबूर है। जल्द ही हमारे पोषक ग्राम सागोन छापर की समस्या हल की जाए।

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नेहा बाई धुर्वे

ग्राम सागोन छापर में एक ही हैंड पंप था जिससे शुद्ध पानी मिलता था, वह भी पिछले 10 दिनों से बंद है, जिसके कारण हम लोगों को झिरिया का पानी पीने मजबूर है। जल्द ही ग्राम के एक हैंडपंप का सुधार कार्य कराया जाए।

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प्रेम वाती धुर्वे

ग्राम में नल जल योजना कनेक्शन है, शुरू होने के समय एक सप्ताह ही ग्राम के लोगों को पानी नसीब हुआ है, उसके बाद हम हैंडपंप से ही पीने का पानी लेते है, लेकिन पिछले एक सप्ताह से हैंडपंप बंद है, कोई अधिकारी सुध नहीं ले रहा है।

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द्रोपती बैगा