अंधविश्वास व भूत-प्रेत का चक्कर छोड़ इलाज को आगे आ रहे लोग मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता
लखीमपुर, 25 अगस्त। मानसिक तनाव और अवसाद को भूत प्रेत का साया समझने वालों में अब जागरूकता आई है। अब उनको भलीभांति समझ आ चुका है कि यह भी अन्य बीमारियों की तरह ही एक बीमारी है। समय से इलाज और सलाह से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। इसी का नतीजा है कि जिला चिकत्सालय - मोतीपुर ओयल के कमरा सांख्य-02 में चल रहे मानसिक रोग विभाग में प्रतिदिन 4 से 5 लोग सलाह और इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। इस तरह एक माह में 100 से 150 मरीज ऐसे आ रहे है जो कि मानसिक अवस्था को कथित भूत-प्रेत का साया समझते थे। मानसिक रोग विभाग में कार्यरत मनोरोग (साईक्रेटिक) सामाजिक कार्यकर्ता अतुल कुमार पाण्डेय ने बताया कि अंधविश्वास के जाल में फंसकर कई लोग अपने मानसिक स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। तांत्रिक, ओझाओं एवं हकीमों के चक्कर में अपना पैसा बर्बाद करने और बीमारी बढ़ जाने के बाद जब मरीज अस्पताल पहुँचते हैं तो सच्चाई के साथ ही उन्हे अपनी गलती का एहसास होता है। अस्पताल में जांच के बाद उन्हे पता चलता है कि वह वो किसी भूत - प्रेत के साये आदि से नहीं बल्कि अवसाद, हिस्टीरिया, डिमेंशिया, सीजोफ्रेनिया जैसे मनोरोगों आदि से पीड़ित हैं। ऐसे मरीजों में अचानक रोना, फिर हंसना जैसे कई तरह के लक्षण होते हैं। परामर्शदाता देवनंदन श्रीवास्तव ने बताया कि मनोरोगियों को दवाओं के साथ काउंसलिंग की जरूरत पड़ती है। काउंसलिंग के जरिए न सिर्फ मानसिक रोगी के मन के वहम या भ्रम को दूर किया जा सकता है, बल्कि उन्हें समाज में बेहतर जीवन जीने की दिशा भी मिलती है। वहीं काउंसलिंग मरीज और परिवार के बीच एक बेहतर तालमेल कायम करने बिठाने के लिए भी बेहद जरूरी है।
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नागरिकों को किया जा रहा जागरूक: मनोरोग विशेषज्ञ
मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. अखिलेश शुक्ला ने बताया कि जागरूकता का अभाव मरीजों को अंध विश्वास की तरफ ले जा रहा है। यही कारण है कि लोग भ्रम का शिकार हो रहे हैं। ऐसे लोगों की काउंसलिंग और इलाज जिला अस्पताल मोतीपुर ओयल में किया जा रहा है। इसके साथ ही चिकित्सालय में आने वाले लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। उनका कहना है कि तमाम जागरूक नागरिक इसका लाभ भी ले रहे हैं।