झोलाछाप डॉक्टरों के हौंसले बुलंद मरीजों की जान से कर रहे खिलवाड़, स्वास्थ्य विभाग मौन।

in #kotabilaspurraipur2 years ago

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बिलासपुर (wortheum news)
न्यायधानी के गांव-गांव में इन दिनों झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। यह लोग कुकुरमुत्ता की तरह गांव के एक कोने से लेकर आखिरी कोने तक फैले हुए हैं। चाय की गुमटियों से लेकर पान ठेला जैसी दुकानाें में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से ग्रषित मरीज, सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार रहते हैं। खास बात यह है कि अधिकतर झोलाछाप किसी नेता के संरक्षण पर या फिर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी का आशीर्वाद प्राप्त होने का दावा करते हैं और अपनी अवैध कारोबार को धड़ल्ले से अंजाम देते हैं।

एक समय विदेश, देश प्रदेश लगातार कोरोना से जूझ रहा था इसी दरमियान कुछ स्वास्थ्य चिकित्सा सेवाओं से जुड़े लोगों को सेवा करने के लिए अवशर एवं मानवहित कि सुरक्षा के उद्देश्य से कुछ लोगो को वैक्सीनेशन सप्लायर का कार्य करने का जिम्मा दिया गया था। अब वह लोग खुद को डॉक्टर समझने लगे हैं और पैसों की लालच में झोला छाप डॉक्टर बनकर मरीज का इलाज कर रहे हैं। केस बिगड़ने पर शहर के अस्पताल में रैफर कर देते हैं जहां से उन्हें एक मोटा रकम कमीशन के तौर पर दिया जाता है। बीते कुछ वर्षों से फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टरों की वृद्धि भी हुई है। ग्रामीण क्षेत्र में कोई मात्र बीएमएस के डिग्रीधारी हैं तो कोई अपने आप को बवासीर या दंत चिकित्सक बता रहा है लेकिन इनके निजी स्थानों पर लगभग सभी गंभीर बीमारियों का इलाज धड़ल्ले से किया जा रहा है।

शहर से लगभग 52 किलोमीटर दूर रतनपुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत सेकर आश्रित ग्राम तेंदूभाटा स्थित है। बताया जाता है कि यहां सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज कराने के लिए लोगों को दूर का सफर करना पड़ता है। इसका फायदा सीधे तौर पर झोलाछाप डॉक्टर उठा रहे हैं।

बताया जाता है कि ग्राम चपोरा में वैक्सीनेशन का कार्य करने के लिए क्षेत्र के प्रभारी ने सुंदर मानिकपुरी को जिम्मेदारी दिया है।लेकिन अब वहां वैक्सीनेशन के अलावा ग्राम तेंदू भाटा में अपने निवास पर से ही गांव के लोगों का इलाज करता हैं और वह उपचार के नाम पर मरीजों को अंग्रेजी दवाई, व इंजेक्शन देने का कार्य भी करता हैं। और वहां बड़ी ही चालाकी के साथ लगाए गए सिरिंज वह दवाइयों के खाली रैपर को घर के सामने आम के पेड़ के समीप फेंक कर जला देता है। जब कभी संबंधित जांच एजेंसी या कोई पत्रकार खबर बनाने जाता है तो वह अपने आप को उच्च अधिकारियों के साथ सेटिंग रखने का दावा करता है। जब इतने में बात नहीं बन पाती तब वह गिरगिट की तरह रंग बदलता है और अपने आप को कथित पत्रकार बताने लगता है। आवश्यकता है कि ऐसे लोगों के खिलाफ विभाग स्वयं संज्ञान ले।

स्वास्थ्य विभाग क्यों नहीं करता है कार्यवाही

जिला कार्यालय पर एक वरिष्ठ अधिकारी के पद में इन दिनों एक मुनी बाबा बैठे हैं। और एसी वाले कमरे में बैठ कर कुर्सी तोड़ने का काम कर रहे हैं। जबसे जिला कार्यालय पर यह बैठे हैं तब से इनके नेतृत्व पर झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ जिले भर में बड़ी कार्यवाही अब तक नहीं किया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस साहब के आने के बाद झोलाछाप डॉक्टरों के लिए यह जिला स्वर्ग बन गया है। यहां तक ऐसी चर्चाएं हैं कि इनके द्वारा झोलाछाप डॉक्टर पर कार्यवाही नहीं करने के कारण वे लोग इन्हें भगवान मान रहे हैं। और मौसम के अनुसार इनके सेवा में मेवा, मिष्ठान जैसे चढ़ावा भी करने की चर्चाएं हो रही है। शायद इसीलिए इनके द्वारा झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्यवाही करने का आदेश नहीं किया जाता है।

अगर इनके कार्यकाल को देखा जाए तो झोलाछाप डॉक्टरों के द्वारा गलत इलाज करने के कारण अब तक कई लोगों की जान चली गई है। विगत कुछ दिनों पहले मस्तूरी क्षेत्र में एक डॉक्टर के द्वारा गलत इलाज करने के कारण एक मरीज की मौत हो गई थी और वह डॉक्टर फरार हो गया था। दूसरा एक बड़ा उदाहरण यह भी है कि ग्राम पंचायत कोरमी में एक झोलाछाप डॉक्टर के द्वारा लोगो को नशा करने के उद्देश्य से दिए गए सिरप के सेवन से 11 लोगों की मौत हो गई थी। उसके बाद भी विभाग के जिम्मेदार अधिकारी नींद से नहीं जागे हैं। आवश्यकता है कि ऐसे मामलों पर विभाग के उच्च अधिकारी स्वयं संज्ञान ले और समय रहते उचित कार्यवाही करें