सियासत के खतिर उलट गयी पर्व परंपरा

in #khandwa2 years ago

खंडवा। रक्षाबंधन के पूर्व सजनतिक चैसर पर खंडवा मे ऐसा खेल खेला गया कि कांग्रेस महापैार पद पर शिकस्त खाई बहन ने प्रतिद्वंदी दल भाजपा से चुनाव लडे अपने सगे भाई अनिल विश्वकर्मा को ननि सभापति बनवाकर अजूबा कारनामा किया है। पर्व पर बहन तोहफे की हकदार होती है लेकिन भाई द्वारा फर्ज न पूरा न करने के बरवजूद बहन ने भाई को ननि सभपति पद पर जीत दिलाकर नवाजा है। यह भााई बहन के अटूट प्रेम को पीछे छाडते हुये जिले की सियासत का जादू है कि ं फूल छाप कांग्रेसी व पंजा छाप भाजपाईयो ने एक बार फिर अदभूत कर दिखाया है जहां नतीजा है जो दर चुनाव बार बार देखने को मिलता है कि फूलछाप कांग्रेसी ही सीमाां लांघकर कमल खिला जाते है।

यह कोई काल्पनिक चित्रण नहीं बल्कि घटित घटनाक्रम हे जहां कांेग्रस की महपौरपद की उम्मीदवार आशा मिश्रा (विश्वकर्मा चुनाव हारीं लेकिन भाई अनिल विश्वकर्मा ने निगम अध्यक्ष का चुनाव जीत लिया। इस बारे में विश्वकर्मा से मीडिया द्वारा सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह विचारधारा की लड़ाई है। मेरी जीत, संगठन की जीत है। पार्षदों की बदौलत जीते हैं।
ज्ञातव्य है कि भाजपा से निगम अध्यक्ष चुने गए अनिल विश्वकर्मा महापौर चुनाव में कांग्रेस से चुनाव हारीं प्रत्याशी आशा (विश्वकर्मा) के भाई हैं। सभापति पद के कांग्रेस प्रत्याशी मुल्लू राठौर को कांग्रेस के ही दो पार्षदों ने वोट नहीं दिया। कांग्रेस के पास 13 पार्षद है लेकिन उन्हें 11 ही वोट मिले। उधर, भाजपा प्रत्याशी अनिल विश्वकर्मा को कुल 38 वोट मिले। एमआईएम की पार्षद ने वोट नहीं डाला।
नगर निगम में महापौर और अध्यक्ष पद पर पिछड़ा वर्ग को मौका दिया गया। महापौर पद महिला पिछड़ा वर्ग के लिए पहले से ही आरक्षित था। आमजन को उम्मीद थी कि निगम अध्यक्ष पर सामान्य वर्ग को अवसर मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भाजपा ने अध्यक्ष पद के लिए भी पिछड़ा वर्ग को मौका दिया। सामान्य वर्ग से अध्यक्ष पद के दावेदारों को भाजपा की गुटबाजी के कारण मौका नहीं मिल सका।
भाजपा सोमवार को सुबह से पार्षदों को एक होटल में बुलाया गया। यहां भाजपा के 28 पार्षदों के साथ ही पांच निर्दलीय पार्षद भी मौजूद रहे। इनमें सुनील जायसवाल, प्रकाश यादव, मोनिका नीतिश बजाज, विजय यादव, आफरीन बानो शामिल रहे। इस तरह 33 पार्षदों को एक बस में बैठाकर मतदान स्थल नगर निगम तक लाया गया। इसके अलावा तीन अन्य निर्दलीय पार्षदों ने भी भाजपा को वोट देने पर सहमति जता दी थी हालांकि वे बस में बैठकर नहीं आए।
अध्यक्ष चुनाव में बहुमत के बावजूद भाजपा को क्रास वोटिंग का खतरा सता रहा था। इसका मुख्य कारण यह था कि भाजपा के कुछ पार्षद अध्यक्ष पद के लिए वरिष्ठ का नाम तय करने पर जोर दे रहे थे। भाजपा ने पहले से ही लाबिंग शुरू कर कांग्रेस की रणनीति पर पानी फेर दिया। पर्यवेक्षक जयपाल चावड़ा और मधु वर्मा के समक्ष भाजपा के सभी 28 पार्षदों ने कह दिया कि महापौर अमृता यादव, जो नाम तय करेंगे हम उस पर सहमति जता देंगे। पैनल द्वारा अनिल विश्वकर्मा का नाम तय किए जाने के बाद उनकी शानदार जीत ुई।
नगर निगम में अध्यक्ष के चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी रही। सुबह 11 बजे निगम सभागृह में कलेक्टर अनूपकुमार सिंह पहुंचे और अध्यक्ष के निर्वाचन को लेकर तैयारी शुरू की। दोपहर 12 बजे से नाम निर्देशन पत्र जमा करने का सिलसिला शुरू हुआ, जो एक बजे तक चला। फिर वोटिंग शुरू हुई और परिणाम घोषित किया गया। कलेक्टर द्वारा नतीजो को लेकर बताया कि 49 पार्षदों में से अनिल 38 वोट लेकर चुनगये। एक वोट महापौर अमृता यादव का रहा। इस तरह 39 वोट हासिल कर अनिल विश्वकर्मा ने अध्यक्ष का चुनाव जीत लिया। इधर कांग्रेस के दीपक मुल्लू राठौर क्रास वोटिंग का शिकार हो गए। उन्हें अपने 13 पार्षदों में से 11 ने ही वोट दिया।