प्रियंका की सतर्कता से 1000 दिनों का पोषण पाकर सेहतमंद हुई धान्‍वी

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  • पोषण और विकास के लिहाज से शिशुओं के लिए होता है जीवन का सुनहरा काल
  • गर्भकाल से लेकर पहले दो साल तक बच्‍चों को मां के दूध के साथ मिले पूरक आहार

संतकबीरनगर, बच्‍चों के लिए गर्भावस्था से लेकर दो वर्ष तक का समय उनके सर्वांगीण विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इसी दौरान बच्चों के संपूर्ण स्वास्थ्य, वृद्धि और विकास की आधारशिला तैयार होती है, जो पूरे जीवन बच्चे के काम आती है। कुपोषण के कारण यह आधारशिला कमजोर हो जाती है, जिसके कारण समय पूर्व मौत और शारीरिक विकास प्रभावित होता है। इसकी बेहतर समझ रखने वाली मां प्रियंका से पहले 1000 दिनों का पोषण पाकर आज दो साल की हो चुकी धान्‍वी का न सिर्फ शारीरिक विकास हुआ बल्कि वह मानसिक रुप से भी सुदृढ़ हुई।
खलीलाबाद के मड़या अचकवापुर की निवासी 24 वर्षीया प्रियंका त्रिपाठी गर्भकाल से ही चिकित्‍सकों की सलाह पर खुद के साथ ही अपने होने वाले बच्‍चे के स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति काफी सजग रहती थीं। चिकित्‍सकों ने उन्‍हें बताया था कि गर्भकाल से लेकर दो साल की आयु तक का 1000 दिन बच्चे के विकास, बढ़त और स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण अवधि है जिसमें बच्चे व माँ को सही समय व सही पोषण प्रदान कर उसे एक स्वस्थ व खुशहाल जीवन दे सकते हैं। कुपोषण का एक चक्र होता है और इस चक्र को तोड़ना अत्यंत आवश्यक है। वह जानती थीं कि एक किशोरी कुपोषित है तो वह भविष्य में जब गर्भवती होगी तो वह कुपोषित ही रहेगी और एक कुपोषित बच्चे को जन्म देगी। सुपोषण के महत्ता की जानकारी उन्हें किशोरावस्था से ही थी। गर्भावस्था के दौरान चिकित्सक ने उन्हें बताया कि प्रथम 1000 दिनों में उपलब्ध पोषण बच्चों को जटिल बीमारियों से लड़ने की ताक़त देता है। बच्चे के जीवन के प्रथम 1000 दिनों में उचित पोषण की कमी के ऐसे दुष्परिणाम हो सकते हैं जिन्हें ठीक करना आसान नहीं होता। वह कहती हैं कि यह नहीं सोचना चाहिए कि बच्चा जब दुनिया में आएगा तब ही उसके खान-पान पर ध्यान देना है। प्रसव पूर्व जांच कराने के लिए जब वह सीएचसी खलीलाबाद में गयीं तो चिकित्‍सक ने उन्‍हें बताया कि बच्‍चा जिस दिन से माँ के गर्भ में आता है उसी दिन से उसका शारीरिक मानसिक विकास होना प्रारंभ होने लगता है। उन्होंने आयरन, फोलिक, कैल्शियम और एल्बेंडाजोल गोलियों का सेवन किया । समय से टीकाकरण करवाया और पौष्टिक आहार जैसे दाल, रोटी, सोयाबीन, मूंगफली आदिक का सेवन किया । उन्हें यह भी बताया गया था कि प्रसव के बाद 6 माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराना चाहिए तथा 6 माह के बाद बच्चे को कम से कम दिन में दो से तीन बार खाना खिलाये और चम्मच से खिलाये ताकि बच्चें को आदत पड़ सके। शुरू-शुरू में बच्‍चा थूकेगा पर ऐसे ही सीखना शुरू करेगा। पूरक आहार न लेने से बच्चा इसी उम्र से कुपोषित होना शुरू हो जाता हैं। बच्चे को एनीमिया, विटामिन ए की कमी और जिंक की कमी हो सकती है। प्रियंका ने गर्भावस्था के दौरान भरपूर सतर्कता रखते हुए कोविड काल में अगस्‍त 2020 में एक स्‍वस्‍थ बच्‍ची को जन्‍म दिया। चिकित्‍सक की सलाह पर बच्‍ची को 6 माह तक केवल अपना दूध पिलाया तथा उसके बाद उसे उपरी ( पूरक ) आहार समय समय पर दिया। बच्‍ची धान्‍वी का वह नियमित टीकाकरण कराती हैं तथा पोषण पर ध्‍यान देती हैं।
1000 दिनों का इस प्रकार होता है विभाजन
एक शिशु के विकास के 1000 दिनों का विभाजन शिशु के जन्‍म से दो साल तक के लिए होता है। इसमें 270 दिन यानी 9 महीने तक गर्भावस्‍था के दौरान पोषण तथा दो साल यानी 730 दिनों के लिए विकास की विभिन्‍न प्रक्रियाओं के दौरान पोषण का होता है।
विभिन्‍न स्‍तरों पर 1000 दिन इस प्रकार दें पोषण
सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र खलीलाबाद के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अमित सिंह बताते हैं कि बच्‍चे के विकास के 1000 दिनों के पोषण को इस प्रकार से विभाजित किया गया है। माता अपनी गर्भावस्था में आयरन व फोलिक एसिड से भरपूर भोजन, जो कि गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास व बढ़त के लिए जरूरी है। वहीं 6 माह के शिशु के लिए माँ का दूध 6 माह तक बच्चे की सभी पोषक तत्वों की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। अतः 6 माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराना चाहिए। 6 माह से 2 साल तक मां के दूध के अलावा फल, फलियाँ व प्रोटीनयुक्त पदार्थ जैसे अण्‍डा इत्‍यादि बच्चों को दिया जाना चाहिए जो कि उनके सम्पूर्ण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
गर्भावस्था के दौरान रखें यह सावधानियां
गर्भावस्था की पहचान होने पर अतिशीघ्र निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर पंजीकरण कराना, नियमित जांच कराना, पौष्टिक व संतुलित आहार का सेवन करना, स्तनपान के संबध में उचित जानकारी प्राप्त करना, चिकित्सक द्वारा दिए गए परामर्शों का पालन करना सुनिश्चित करना, जन्म के 1 घंटे के भीतर बच्चे को स्तनपान कराना आवश्यक है। बच्‍चों को 6 माह तक केवल स्तनपान कराना चाहिए। 6 माह के बाद ऊपरी आहार की शुरुआत करना चाहिए। नियमित स्वास्थय जांच कराना चाहिए। शिशु व बच्चे का नियमित व समय से टीकाकरण करना चाहिए।

पोषण पाकर स्‍वस्‍थ धान्‍वी
अपनी मां प्रियंका के साथ दो साल की धान्‍वी