इंसान पीछे हट रहा है
आज कई दिनों बाद मैं और मेरा लंगोटिया यार रामसखा फटफटी पर सवार होकर निकल गये सैर-सपाटे पर। अपनी बचपन की यादों की गपसप के साथ आगे बढ़ रहे थे तभी बीच सड़क पर एक गाय खड़ी दिखाई दी, ऐसा भी नहीं था कि वो हमारा रास्ता ही रोक कर खड़ी थी, उसके आगे भी और पीछे भी दोनों तरफ जगह थी निकलने के लिए। मैंने जेसे ही उसके आगे से अपनी फटफटी को निकालने लगा तो रामसखा चिल्लाया कि अरे हर्ष भाई क्या कर रहे हो? गाय के पीछे से गाड़ी निकालो, मैंने ब्रेक को थोड़ा परेशान किया और हैंडल को घुमाकर गाय के पीछे से गाड़ी निकाल ली। राम मेरा सखा है उसका आदेश मुझे मानना ही पड़ता है, लेकिन इसका मतलब यह भी कतई नहीं कि मैं सिर्फ उनका आदेश मानता हूं, मुझे कुछ उटपटांग लगे तो मैं टीका-टिप्पणी भी ज़रूर करता हूं, बस लग गया मुझे उटपटांग, पूछ बैठा, राम भाई ये क्या मज़ाक है गाय के आगे से गाड़ी मत निकालो, पीछे से मत निकालो। नही हर्ष भाई पीछे से निकालने का तो मैंने बौला है, पर क्यों रामसखा? रामसखा भी कहा पीछे रहने वाला था तपाक से बोला, हर्ष भाई हमेशा याद रखो गाय भैंस के पीछे से व इंसान के आगे से गाड़ी निकालनी चाहिए। इतना सुनकर मैं और उफन गया।अब ये क्या नया ज्ञान है रामसखा। राम बोला हर्ष भाई गाय भैंस कभी भी पीछे नहीं हटती और इंसान कभी भी पीछे हट सकता है। इसलिए दुर्घटना से बचने के लिए वाहन गाय-भैंस के पीछे से और इंसान के आगे से निकालना चाहिए। हां अगर इंसान अचानक आगे बढे तो वाहन देखकर तुरंत रुक सकता है। रामसखा की बात सुनकर मेरे समझ आ गई, क्योंकि बात सौ टका सत्य थी। इंसान पीछे ही तो हट रहा है, अपनी बातों से पीछे हट रहा है, अपने वादों से पीछे हट रहा है, अपने फर्ज से, अपने धर्म से, अपने कर्म से पीछे हट रहा है। इंसान व्यवहार से पीछे हट रहा है, संस्कार से पीछे हट रहा है। जिम्मेदारी से पीछे हट रहा है, वफादारी से पीछे हट रहा है। और तो और अपने दायित्वों से पीछे हट रहा है, अपने कर्तव्यों से पीछे हट रहा है। मानवता से पीछे हट रहा है, नैतिकता से पीछे हट रहा है और जो सबसे जरूरी है, राष्ट्र सेवा से पीछे हट रहा है, समाज सेवा से पीछे हट रहा है। पशु पक्षी जानवर आज भी प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए हुए हैं लेकिन इंसान प्रकृति को अपना गुलाम बनाना चाहता है, उसे अपनी मर्ज़ी की मुट्ठी में पकड़ कर रखना चाहता है। सच में इंसान पीछे हट रहा है।
रचनाकार
हरसहाय मीणा (हर्ष)
जोधपुर।
sir
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Barabar kar rha hu sir follow bhi kar rha hu