कश्मीरी पंडितों के बिना घाटी अधूरी, डर की वजह से नहीं हो पा रहा लौटनाः कर्ण सिंह

in #kashmir2 years ago

वरिष्ठ राजनेता कर्ण सिंह ने कहा है कि कश्मीरी पंडितों के मन में भय और आशंकाएं हैं और यह कारण है कि बेहद कम संख्या में कश्मीरी पंडित घाटी में अपने घर लौटने के इच्छुक हैं।वरिष्ठ राजनेता कर्ण सिंह ने कहा है कि कश्मीरी पंडितों के मन में भय और आशंकाएं हैं और यह कारण है कि बेहद कम संख्या में कश्मीरी पंडित घाटी में अपने घर लौटने के इच्छुक हैं। सिंह ने जाने माने हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. उपेन्द्र कौल के संस्मरण ‘‘वेन द हार्ट स्पीक्स’’ के विमोचन के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि अधिकतर कश्मीरी पंडित जो बाहर जा सकते थे वे विदेश चले गए या देश के अन्य हिस्सों में बस गए। उन्होंने हालांकि कहा कि ‘‘कश्मीरी पंडितों के बिना कश्मीर हमेशा अधूरा रहेगा।’’

कर्ण सिंह कश्मीर के आखिरी डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह के बेटे हैं। सिंह कहते हैं,‘‘ कश्मीर बेहद खूबसूरत और आकर्षक है, लेकिन 1947 से घाटी में जो त्रासदी हुई वह दिल तोड़ने वाली है।’’ उन्होंने घाटी लौटने और वहां मकान बनाने वाले डॉ. कौल और अन्य कश्मीरी पंडितों की सराहना की और कहा, ‘‘ऐसे उदाहरण बेहद कम हैं।’’

वयोवृद्ध नेता ने कहा, ‘‘बेहद कम संख्या में कश्मीरी पंडित ऐसा कर रहे हैं क्योंकि उन्हें हमेशा भय या आशंका रहती है और इसे जाने में काफी वक्त लगेगा और जिस खौफ से वे (कश्मीरी पंडित) गुजरे हैं, मुझे लगता है कि वे एक बार फिर उसका सामना करने के लिये तैयार नहीं हैं।’’

सिंह ने संस्मरण लिखने के लिए डॉ. कौल की सराहना की और कहा कि डॉ. कौल केवल उम्दा पेशेवर ही नहीं हैं बल्कि अच्छे इंसान भी हैं और कश्मीर तथा अपने माता-पिता के लिए उनके मन में जो प्यार है वह दिल छू लेने वाला है।

अपने संबोधन में उन्होंने आगाह किया कि चिकित्सकों तथा दवा कंपनियों के बीच की साठगांठ के चलते मरीजों को अनावश्यक सर्जरी, जांच और दवाओं के चक्र में फंसना पड़ता है। इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) में हुए इस कार्यक्रम में एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया और जाने माने वकील प्रशांत भूषण भी शामिल हुए।