दहशत के बीच कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए लंबे समय से प्रयास चल रहे हैं।
कश्मीर घाटी में एक बार फिर दहशत का माहौल है। जबसे कश्मीरी पंडितों और गैर-मुसलिम प्रवासियों को लक्षित कर मारा जाने लगा है, लोग असुरक्षा के बीच जी रहे हैं। ये हत्याएं किसी सुनसान जगह में नहीं, सरेआम की जा रही हैं। दफ्तरों में घुस कर दो लोगों को मार डाला गया। इससे स्वाभाविक ही कश्मीरी पंडितों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नाराजगी है। कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में कई दिनों से उनका विरोध प्रदर्शन चल रहा है। कुछ दिनों पहले उन्होंने मांग की थी कि कश्मीर से बाहर किसी सुरक्षित जगह पर उनकी तैनाती की जाए, नहीं तो वे सामूहिक पलायन करने को मजबूर होंगे। कई कश्मीरी पंडित वहां से पलायन कर जम्मू पहुंच भी चुके हैं।
बहुत सारे लोग पलायन करना चाहते हैं, मगर उन्हें रोक रखा गया है। इस समस्या से पार पाने के मकसद से केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बैठक की, जिसमें फैसला किया गया कि कश्मीरी पंडितों को घाटी से बाहर नहीं भेजा जाएगा। उन्हें सुरक्षित जगहों पर स्थानांतरित किया जाएगा। सरकार का यह फैसला गलत नहीं कहा जा सकता, क्योंकि अगर फिर से कश्मीरी पंडितों ने घाटी से पलायन शुरू कर दिया, तो पूरी दुनिया में बहुत गलत संदेश जाएगा और दहशतगर्दों का भी मनोबल बढ़ेगा। पलायन पर रोक न लगाने का अर्थ यह समझा जाएगा कि सरकार ने पराजय स्वीकार कर ली।